मंगलवार, जुलाई 02, 2013

अर्जुन

...............हम दोनों में ख़ामोशी छाई रही ,जैसे हम दोनों ही कुछ तलाश कर रहे हो, कुछ कहने के लिए ........मैंने ही पूछा ....इस युद्ध में तुम अकेले ही थे या किसी ने तुम्हारा साथ दिया .......कुछ सोच के अर्जुन ने कहा सभी  मुझसे किनारा कर चुके थे ,सिर्फ एक इंसान था जो मेरे साथ खडा था ........मुझे हिम्मत भी देता था .....और मेरे घर को भी सभालता था ,मेरे जानवर को देखता था उनको खिलाना -पिलाना सभी काम वह करता था .......अभी तक मुझे नहीं समझ आ रहा था वह कौन था ?........मैंने कहा उस वक्त तो पूरा गाँव ही तुम्हारा दुश्मन हो चूका था ,एक तरह से सभी ने तुम से वाई-काट कर लिया था ........फिर वह कौन था ......भगू .....
भगू हम दोनों के बचपन का दोस्त था ...हम तीनो ही साथ घूमते थे वह गरीब था पढ़ -लिख सका नहीं ......बस आठ क्लास ही पास था .........अपने स्कूल में चपरासी की नौकरी दे दी थी .....

        फिर मैं सोचता रहा ........भगू  से अब जब मिलता हूँ वह एक ही बात कहता है ......अर्जुन ने मुझे मिस -यूज किया ........यह सोच सभी की थी .....अर्जुन सभी को  इउज करता है (यहाँ एक बात बता दूँ आज कल गाँव में भी बोल -चल की भाषा में अंग्रेजी शब्द इस्तेमाल होता है )

    यह सवाल मैं पूछ नहीं सकता था ....हो सकता है ,इसका जवाब वह ना में ही देता .....अर्जुन ने  जम्हाई ली
और मैंने चलने की इज्जात मांग ली ...........हम लोग घर से बाहर निकले तरच की रौशनी दिखा रहा था अर्जुन ...तभी एक चलने की आवाज आई ..........अर्जुन ने मुझे धका दिया ...और तुरंत अर्जुन ने अपनी रिवाल्वर निकाल ली और तीन चार फायर किया .....और टार्च  की रोशनी में उधर देखने लगा जिधर से गोली चली थी ...पर कोई नज़र नहीं आया .....मुझे कहा आप घर जाए ......इस अंधेरी रात में किसे खोजे गें ......

 मैं घर चला आया मेरी बुआ डर  के मारे बैठी हुई थी .....बुआ ने पूछा अर्जुन काहे गोली चलावत रहा .....एक ठु पटाका बचा रहा ......तरु ने कहा अम्मा बजाय लें ....बस वही पटाका बजत अर्जुन गोली चलाने लाग ......बहुत डरपोक है ......

मैं अपने बिस्तर पे लेट के सोचने लगा .........अपना अस्तित्व बचाने के लिए क्या -क्या नहीं करना पड़ता है ...
कब आँख लग गयी ......मुझे पता ही नहीं चला 

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