सोमवार, जुलाई 01, 2013

पंडित जी की बातें सुन के ,बहुत अच्छा लगा ......मैंने फिर से पूछा कहाँ जा रहें है (अवधी कम बोलते हैं )जाना कहाँ है मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक ........खेत देखने जा रहा हूँ ....अन्धेरा हो रहा है ......आप भी घर की तरफ चले ,....चलते -चलते बोल पड़े मेड -मेड जाइएगा ....और हाँ गाँव में एक डंडा लेकर चलना जरूरी है .......मैं उनकी बात सुनते -सुनते आगे बढने लगा ......एक बात बता दूँ मेड पे चलना थोड़ा मुश्किल काम ही है ..

           रात का एक पहर बीत चुका था .....यही कोई करीब नौ बज चुका था मेरे मोबाईल पे अर्जुन का फोन आया ......कहने लगा ....हमारी तरफ आ जाओ ......ठीक कह के फोन  रख दिया .....चलने को हुआ तो बोल पड़ी
इतनी रात में कहाँ जा रहे हो ?  मैं कुछ बोला नहीं ......बस इतना ही कहा ....आता हूँ जल्दी आ जाना .....हूँ कह के चल दिया हाथ में टार्च की रौशनी में अर्जुन के घर की तरफ बढने लगा ....गरमी के दिन थे ...रात में जब हलकी सी नमी आती है ...तब अपने बिलों से साँप -बिच्छू निकलते हैं ...यह डर  तो मुझे था ही इसी लिए बहुत सभल -सभल के चल रहा था ......

           अर्जुन अपने घर के दरवाज़े पे ही मिल गया ......हम दोनों घर के अन्दर पहुँच गये ....घर में बिजली की रोशनी थी ,पंखा चल रहा था ....यह देख के मैं बहुत खुश हो गया ......मैंने छूटते पूछा बिजली है हमारे यहाँ तो नहीं है .....इनवर्टर पे है .....रात में बाहर सोना मुश्किल है .....कमरे में सोने के लिए पंखा तो चाहिए ही ......

अर्जुन ने पूछा खाना तो खा लिया होगा ?    हाँ खाना खाए तो देर हो गयी क्या लेंगे ...सब कुछ है मैं समझ गया शायद यह शराब की बात कर रहें है .......तभी अर्जुन बोल पड़े दूध की बात कर रहा हूँ आम और दूध ले ...देसी गाय का दूध है ...........

               सोचा अर्जुन से अब क्या पूछूँ .....?  सब कुछ तो जान ही लिया ....अर्जुन ने किस तरह महाभारत का युद्ध लड़ा था .....

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