गंदे नाले सूख गए थे ,लोग शहर छोड़ के जा रहे थे
पानी की तलाश मैं भटकते -भटकते ,सीमाएं ख़त्म हो गयी
लोगों की भीड़ ,एक जलाशय के पास खड़ी थी
उसका पानी लाल रंग का था
जैसे इंसानों का खून इकठा किया गया हो ,
सभी उसको ध्यान से देखतें हैं
सभी को उसमें ,उनकी अपनी शक्ले दिखने लगी
जैसे वो खून उन्ही का है
फिर भी कई लोग उसे पी रहे थे ,
जो पी नही रहे थे ,वो वहीँ गिर -गिर के मर रहे थे
1 टिप्पणी:
aap ne mujhay dekha aap ko jaan kar bhi acha laga
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