मंगलवार, जून 16, 2009

नकली नेता

झूठों का सरताज हूँ ,सर से पावं तक झूठा हूँ ,
मेरे झूठ को लोग ,सच समझतें हैं ,
कई तमंगे सरकार से मिल चुके हैं ,
आज जीते जी ,मेरी मूर्ति ,सदर बाजार के ,
चौराहे पे लगाई गई ,
एक नेता ने उसका उदघाटन किया ,
फ़िर एक लम्बा भाषण दिया ,तालिओं के शोर से ,
नेता जी वाह - वाही लुट कर ले गए ,
रात का आखरी पहर बीत रहा था ,
एक आदमी छेनी और हथोडा लेकर आया ,
मेरा सर धड से अलग कर गया ,
सुबह सर को धड से जोड़ कर ,
लोगो ने नदी में मुझे प्रवाह कर दिया ,
वह जगह सदर बाजार में अभी भी खाली है ।
मरने से पहले हर नेता कह देता है ,
मेरी मूर्ति वहां मत लगाना .............