दिल मेरा बड़ा चालू है ,
बड़ा चटक -मटक करता है ,
कभी इस ओर गिरता है ,
कभी उस ओर भागता है ,
बहुत समझाता हूँ ,
पर जिद्द किए था ,उनकी झलक पाने को ,
रास्ते में वो जब नजर आयी ,
मुझे छोड़ दिल इस तरह भागा,
जैसे किसी ने उसके गाल पे चिकोटी काट ली हो ,
पास तो उनके वो पहुँच गया ,
पर मेरे वगैर अधूरा था ,
मन तो मेरे पास पड़ा था ,
पर जो उसने वहां देखा ,
वह मुझे आ के बताया ,
वो किसी और का दिल , पर्स में लेकर घूमती हैं ...........
5 टिप्पणियां:
मन तो मेरे पास पड़ा था ,
पर जो उसने वहां देखा ,
वह मुझे आ के बताया ,
वो किसी और का दिल , पर्स में लेकर घूमती हैं ...........
बहुत खूब मित्र बहुत ही सुंदर बधाई स्वीकार करे
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
achha hai !
सही है!
kavita ki antim pankti kavi ke dard ko bayan kar gayi..
बढिया!!
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