सोमवार, जुलाई 06, 2009

लाल बत्ती

कोटे से आए नेता को लाल बत्ती की गाड़ी मिली ,
अब कपडो पे डबल माड लगता है ,
प्रेस करने वालो को ,पैसा तो उतना ही मिलता ,
पर मेहनत डबल करनी पड़ती ,
माली के अब ठाठ हो गए ,
उसके फूलों की कदर होने लगी ,
साहब के साथ- साथ ,औरों को फूल की माला पहनता ,
एवज में बच्चों ,सालो सलियों को नोकरी मिली ,
पर चपरासी था नाम का पंडित ,
नेता तो नेता उसके पिल्लै भी उसी को भोंकते ,
उस चपरासी का जीना हराम हो गया ,
उसने सोच लिया ,इस्तीफा दे कर गाँव चला जायेगा ,
पर बच्चे उसके ,गाँव नही जाना चाहते ,
वो भी अपने को ,मिनिस्टर से कम नही समझते ,
बीबी ने समझाया -सिर्फ़ पाँच साल की बात है
तुम तो सरकारी हो , तुम्हें कोई निकाल सकता नही ,
पडे रहो दुःख को सुख समझ कर सहते रहो ,
तुम्हारे जलील होने में -बच्चों का भला है ,
बीबी की समझदारी पे -इस्तीफे की चिट्ठी फाड़ दी .........,