मंगलवार, जुलाई 21, 2009

शर्त

पेट की आग ,बच्चों के मुरझाये चेहरे ,
अब और नहीं देख सकता ......,
सबेरे ही ,घर छोड़ मैं भाग चला ,
एक सुराग मिला था ,
चपरासी की नौकरी पाने का ,
रास्ते में मैंने अपनी सारी डिग्रियां फाड़ कर ,
पास की नदी में प्रवाहित कर दिया ,
जहाँ कभी पिता के फूल विसर्जित किया था ,
स्टेशन से पहले वो आदमी मिल गया ,
मैं उससे पहली बार मिल रहा था ,
उसने एक टिकट दिया ........,
साथ में एक नोट का आधा हिस्सा दिया ,
दिल्ली में तुम्हें --एक नेता मिलेगा ,
उसे यह आधा नोट देना ,
वही आदमी नौकरी देगा ,
एवज में तुम्हे एक काम कहेगा ,
जो तुम्हे करना होगा ........,
उसके बाद जिन्दगी भर शान्ती से ,
परिवार के साथ जीना,
यह शर्त ,मैं पहले ही मान चुका था
जब बच्चों को छोडा था ,भूखा गावं में ...........,

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