सोमवार, अगस्त 10, 2009

निम्मों

शाम वो , मेरे घर आयी ,
आखें रो-रो के सूज गयी ,
मेरी माँ से मिली ..........,
उन्हें अपना दुःख बताया ,
उनकी भी आखें भर आयी ,
दूर बैठा अखबार के पीछे से ,
सब देख रहा था ..........,
कैसे वो मेरी माँ को बहला रही थी ,
समझा -बुझा के माँ ने ,उसे भेज दिया ,
रात खाना खिलाते समय ,माँ ने बताया ,
बेटा बडा धोखा हो गया ,निम्मों के साथ ,
वो ...वो ..बडी दुखी है ,मैं माँ की बातें ,
न सुनने की कोशिश करने लगा ,
तू सुन रहा है ,जो मैं कह रही हूँ ...?
मैंने माँ को देखा .........वह कहने लगी ,
बेटा निम्मों बडी अकेली है ......,
तू उससे ब्याह कर ले .............?

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

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