शुक्रवार, अगस्त 21, 2009

आज की लौ

एक अधुरा कल ,
दूर खडा ,आज को देखता हुआ ,
बीता हुआ पल आता नहीं ,
फ़िर भी आज ,उसमें जीने लगता ,
आज भी कल में चला जाता ,
जो आज का सुख नही ले पाया ,
कल तो उसका ---काल के मुख चला गया ,
ऐसे ही ,एक एक पल दौड़ता चला जायेगा ,
पर तुम्हारे हाथ कुछ नहीं आने वाला ,
एक दिन ऐसा आएगा ..............,
मुहं खोले ...काल तुम्हारे सामने खडा होगा ,
फ़िर तुम्हारे पास कुछ नहीं होगा ,
जो झूठ -चोरी -चमारी से कमाया होगा ,
दुसरे के हक में जाने को तैयार होगा ,
फ़िर तुम्हारी साँस अटक जायेगी सीने में ,
न मर पाओगे --न जी पाओगे ....,
अब भी सुधर जाओ ........,
जो कुछ है -- वो सिर्फ़ आज में ,
न देख पा रहे हो ......तो .....,
अपनी आखों में अंजन लगाओ ,
समझ का ...........,
बस आज में सब कुछ है ,
आज को कल मत बनने दो .....,