सन ७४ में गुलज़ार साहब ,कोजी होम छोड़ के ,
गौतम एपार्टमेंट आ गए । कोजी होम को पूरी
तरह से आफिस बना दिया । टाप फ्लोर उनका
था ,आधे में हीरो जितेन्द्र रहते थे । तब तक उनकी
शादी नही हुई थी ।
गुलजार साहब ,ने अपने फ्लैट में आँगन भी बनवाया
था , वैसे बम्बई जैसे शहर में आँगन की कल्पना थोड़ा
मुश्किल है । आँगन घर के बीचो बीचमें होता है ,
बिल्कुल ऐसा ही था । बरसात में आँगन में बारिश होती
बादलों का गर्जना चमकना ऐसा लगता ,यह सब उनका अपना है ,
गर्मियों में आँगन में सोना वो भी बम्बई में ,सोच के देखो
बडा मजा आता है ।
अकबर नौकर अभी भी था ,राखी जी को ,इस घर की चाभी
इसी ने सौंपी थी ,पहली बार । अकबर बहुत सीधा था ,गुलज़ार साहब
को सीधे लोगों से भुत प्यार है । सीधे अच्छे लोगों का साथ ,उनका लम्बा
रहता है । आज भी उनके करीबी वहीं हैं ,जो सीधे और सरल हैं ,
यह वो दौर था , जब सिगरेट पीना अपने आप में ,क्रिएटिव होने का एक
निशानी थी (हँसी में कह रहा हूँ ) हम सभी सहायक सिगरेट पीते थे ,
और वो भी गुलज़ार साहब की चुरा के ,वो शायद जानते भी हों ,पर कभी
शिकायत नही की । अब जाना ,शिकायत करने की आदत उनमे नहीं है ,
खराब से खराब चीज को अपना लेते है ,हम सभी सहायक को कौन जनता है ?
सहायक ,मेराज ,राज.यन .सिप्पी ,यन .चन्द्र ,पर्थ ,कैलास अडवाणी ,अशफाक ,
अहमद ,शलीम आरिफ ,और भी थे ,वो आए कुछ दिन रहे और उनका नाम चुरा
के ले गये ।