खुश्बू फ़िल्म के निर्माता हीरो जीतेन्द्र साहब थे ।
और हीरो भी वही थे ,और पहनावा भी वैसा दिया ,
जैसा गुलज़ार साहब चाहते थे । आखों पे चश्मा ,
मोछें ,धोती कुरता ,पहले तो जीतू साहब ने आनाकानी की ,
फ़िर मान गए । हेमा जी इस फ़िल्म की हिरोइन थी ,
मै चौथा सहायक था । मुझे क्लैप देना पड़ता था ,मुझे
क्लैप देने में बडा मजा आता था । इसकी पहली वजह थी ,
ऐक्टर से मेरी पहचान बहुत जल्दी हो जाती थी । पर इसी
क्लैप की वजह से मैं हँसी का कारण होता था । जैसे एनाउंस
करते समय मै अक्सर हकला जाता था ,सभी हँसते थे ,लेकिन
गुलज़ार साहब कभी नही । धीरे धीरे मैं अपने काम में इतना
मज गया कि क्लैप छोड़ने का मन नही किया बहुत सालों तक ।