आज मैं फ़िर अपने क्लैप देने के बारे कुछ रोचक बातें
करूंगा । फ़िल्म में ,हर शॉट्स के पहले क्लैप देना बहुत
जरुरी होता है ,इस पे लिखे ,सीन नंबर ,शोट नंबर ,और
टेक नंबर लिखा होता है । जिसे देख कर फ़िल्म का एडिटर
सीन को एक शक्ल देता है । मौसम फ़िल्म की शूटिंग ,
महबूब स्टूडियो में चल रही थी ,दुसरे शाट की लाइटिंग हो
रही थी । हम सभी सहायक ,सिगरेट पीने के लिए फ्लोर से
बहार आ गये ,हमें ऐसा अंदाजा था दस मिनट तो जरुर लगेगा ।
सिगरेट पी कर हम चारो सहायक अन्दर सेट पर जाने लगे , तो
स्पॉट बॉय ने हमें रोक दिया । बताया अन्दर शाट चल रहा है ,
सबसे ज्यादा मैं घबरा गया ,क्लैप किसने दिया होगा ? हम सभी
के चेहरों पे सिगरेट का नशा उड़ गया । शाट ख़तम हुआ हम सभी
अन्दर ऐसे पहुंचे ,जैसे हम सभी अन्दर ही थे । गुलज़ार साहब कैमरामैन
के साथ दुसरे शाट की लाइटिंग शुरू करा दी । हम सभी डरे हुए थे ,गुलज़ार
साहब ने कुछ पूछा ही नही ,मैंने कैमरा सहायक से पूछा ...यार क्लैप किसने
दिया ?..अबे तुम लोग कहाँ चले जाते हो ? .....गुलज़ार जी ने क्लैप दिया ,
अगला शाट तैयार हो गया ,मैंने क्लैप दिया ...........हम सभी शाम तक इसी
टेंसन में रहे ,कब गुलज़ार साहब डाटें ,आज तक ...इसी इन्तजार में हैं