तलाश एक तस्वीर की
सुर्ख लाल रंग से बनी
जिसका फ्रेम सुनहले रंग का
घुमा के जिधर से देखो
एक मूरत नज़र आये
देखने वाले को पहचान के
अपनी सूरत उसकी समझ से बना ले
रोज़ सुबह फ्रेम का चित्र बदलता
नई सोच सामने आती
फ़िर एक खोज शुरू होती
पर आज कैनवस बिल्कुल खाली था
ना उसमें रंग था ,ना चित्र था
एक चित्र बिहीन फ्रेम लटका था
सभी उसमें कुछ खोज रहे थे
नीचे कई रंग बिखरे थे
हर रंग पर किसी एक का नाम लिखा था
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