सब से बडी खुशी ,बेटे के होने से होती ,
और उदासी से चेहरा ,लटक जाता लडकी होते ,
सब से ज्यादा दुःख बेटे देते ,
अथाह सुख बेटी से मिलता ,
वो दो -दो घरों को सभाँलती,
बेटे अपने पिता का घर तोड़ते ,
खून के आसूं बेटे ही देते ,
बेटी अमृत का रस पिलाती ,
बुढापे का सहारा ,बेटा कभी नही बना ,
बेटी तो अन्तिम संस्कार करने आ जाती ,
फ़िर क्यों ,माँ-बाप बेटे के लिए तरसते ,
और बेटी के कोख में आते ,
गंदी नाली से बहा देते ,
सच कहता हूँ ..........,
इसी की सजा - बुढापे में भोगते .......,
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