शुक्रवार, सितंबर 11, 2009

अठ्नी

एक अठ्नी की दो चवन्नी लेकर दादी से ,
हलवाई के पास जा पहुंचा ,
एक चवन्नी की ,पाव भर जलेबी ली ,
ढाक के पत्ते में लेकर जलेबी ,-
घर की तरफ चल दिया ,
पर पीछे लग गया ,सडक का एक पिल्ला ,
पहले एक था
घर पहुंचते -पहुंचते उसके भाई बहन सभी आ गये ,
माँ के साथ सब नौ थे ,
चवन्नी की सारी जलेबी खिला कर ,
बची चवन्नी दादी को वापस कर दी ,
अब मेरे पीछे -पीछे सड़क पे ,
नौ -नौ दोस्त चलते हैं ,
तभी से मेरा नौ का अंक लकी हो गया ,
मेरे फ्लैट का नम्बर नौ है ,
मेरे गुरु के घर का नम्बर भी नौ है ,
मेरी पत्नी भी अपने माँ - बाप की नवई सन्तान है ,
नौ का साथ - बहुत दिन तक रहा ,
अब दस का साथ चाहता हूँ .........,

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