शुक्रवार, सितंबर 18, 2009

रिश्ता

एक सुबह मेरे पास दो -दो खत आए ,
एक मेरी माँ का था , दुसरा मेरे पिता का ,
दोनों में एक ही बात लिखी थी ,
मैं उनका पुत्र नहीं हूँ .....!
आज इस उम्र में ......फ़िर से ,
एक पिता की तलाश शुरू हो गई ,
अपनी ही फोटो लेकर घूमता हूँ ,
इस आस में ,किसी की सूरत मिलती होगी मुझसे ,
शक्ल न सही ....आवाज तो उनकी जैसी सुनाई देगी
आज तक ...वगैर पिता के जी रहा हूँ ...,
कल के अखबार ..... से एक सुराग मिला ,
सफेद टोपी पहने ...,
इकनॉमिक क्लास में सफर कर रहा था ,
उसकी सोच को जान कर .......,
बिना संस्कारों के जीना चाहता हूँ ...,