बुधवार, सितंबर 23, 2009

आँखें

उसकी आँखें ही ...
देख कर ब्याह किया था ,
अब उसकी आँखें देख ...
डर लगने लगा ,
अपनी कमल जैसी आंखों से ॥
खुशबू उडाती .....
चंदन जैसी महक से ,
डर अब लगता ....,
है तो मेरी पत्नी ....
पर देवी वो लगती ॥,
उसके पास जाने से .....
डर लगने लगा मुझको ...,
पत्नी रूप नहीं दे सका ...
पहली ही रात से ....,
एक रात .......,
कई महीनों बाद ...,
उसने मुझे ...ज़हर ला कर दिया ,
और उसे ....खिलाने को मुझे कहा ,
मैं उसकी मौत का ...,
भागीदार नही बनना चाहता ...,
मैंने उसकी स्थापना .....,
अपने घर के मन्दिर में कर दी ,
फ़िर उसकी पूजा करने लगा ...
अक्सर मेरे सपने में आती ॥,
बहुत सारी बातें करती ---
यहाँ तक उसने मुझे ......
मेरे बच्चे भी दिखाए ॥
उनकी पत्निओं से मिलाती ....
उनके बच्चे मेरे गोद में देती ,
अकेला हो कर भी ...
परिवार के साथ जीता ,
रोज सब के लिए .....
खाना बनाता हूँ ....,
सब की थालियों में निकालता हूँ ,
सब से बाद में ......,
मैं और मेरी पत्नी खाते ......... !

3 टिप्‍पणियां:

Mishra Pankaj ने कहा…

हां हां हां काफी विचित्र वर्णन

वाणी गीत ने कहा…

किसी चुडैल या भूतनी को ब्याह लाये हो क्या ..!!

अपूर्व ने कहा…

हमारा तो दिमाग ही घूम गया भाई पढ़ते-पढ़ते.. ;-)