मेरा दोस्त ,
दोस्त कम भाई था ,
मेरे दुःख में -बगल खडा मिलता ,
कल सुबह ,
उसकी मौत हो गई ,
उसकी पत्नी ,मेरी सहपाठी थी ,
हम तीनों ने साथ -साथ फ़िल्म का कोर्स ,
पूना से किया था ,सन ७३ में ,
रानी फूट -फूट के रोई ,
मेरे कंधे लग के ,
उसकी बेटी से परचित हुआ ,
नन्हीं सी बिटिया ,मुझ में झांकती रही ,
मुझे पहचाने ...इस से पहले मैं दूर भाग चला ,
रात देर तक सोचता रहा ,
जीवन क्या है ,
कोई साथ नहीं चलता ,
जैसे मैं वहाँ से भाग निकला था ?
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