मंगलवार, नवंबर 03, 2009

९१ कोजी होम

गुलज़ार साहब , अपनी फिल्मों की स्क्रिप्ट उर्दू में लिखते थे ....सीन का विजुअल इंग्लिस में होता है ...और संवाद उर्दू में
हम जितने सहायक थे सिर्फ़ मेराज को छोड़ के किसी को उर्दू नही आती थी ..... मेराज के जाने के बाद ....हम लोग ..ख्याल साहब
को बुलाते थे ....वो गुलज़ार साहब की स्क्रिप्ट को खुस्कत हैण्ड रायटिंग ................में लिखते थे ...उनके साथ -साथ हम लोग भी
अपनी स्क्रिप्ट हिन्दी में लिख लेते थे .......पर एक मुस्किल थी शूटिंग के वक्त जब गुलज़ार साहब सवांद में कुछ बदलाव करते थे
तब हम लोग मुश्किल में फंस जाते थे ......फ़िर वहीं सेट पर किसी को खोजते थे जिसको उर्दू आती हो ....जिससे हम लोग
ट्रांस्लेसन करा लेते थे ........पर कभी -कभी कोई नही मिलता तो हम लोग गुलज़ार साहब के पास जा कर उनसे ही पूछने की कोशिश
करते थे .........पर ऐसा हम लोग उस वक्त करते जब सिर्फ़ .... एक आध लाइन चेंज किया होता था उन्होंने ।
इस मुसीबत से पार पाने के लिए मैंने एक मौलाना से बात की जो बच्चों को उर्दू सिखाते थे ......मौलाना मेरे घर शाम को
आते थे ...और उन्होंने मुझे सिखाना शुरू किया ....कुल चार महीने लगे और मैं धीरे - धीरे मैं पढ़ने लगा ....किताब तो पढ़ लेता था
पर गुलज़ार साहब का लिखा थोडा पढ़ने में दिक्कत होता था ....पर धीरे धीरे मैं पढ़ने लगा ......बस उसी तरह जैसे बच्चे हिज्ज्य लगा
कर पढ़ते हैं बस वैसे ही ॥

आज भी किताब तो पढ़ लेता हूँ ......बहुत अच्छा लगता है .........वैसे फिल्मों में निर्देशक के पास एक स्क्रिप्ट होती है .....
गुलज़ार साहब के यहाँ हर सहायक के पास अपनी -अपनी स्क्रिप्ट होती थी .....और बहुत खूबसूरती के साथ बाउंड होती थी ....फ़िल्म
पूरी होने के बाद ...स्क्रिप्ट हमें आफिस में जमा कर देना होता था .......गुलज़ार साहब और निर्देशकों की तरह नही थे ....शूटिंग चलती
रहती थी और स्क्रिप्ट साथ -साथ लिखी जाती थी .......हमारे यहाँ फ़िल्म की स्क्रिप्ट शूटिंग शुरू होने से पहले लिख ली जाती थी

मैंने कुछ फिल्में गुलज़ार साहब के साथ नहीं की ....जिसका मुझे बहुत दुःख है .....इज्जाजत ,लेकिन ,माचिस ,

कैसे नही की .....मैं निर्देशक बन चुका था ...समय नही था ....फ़िर बेकार हुआ .....फ़िर गुलज़ार साहब के पास आ गया और हु तू तू में
फ़िर जुड़ गया .........

4 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार ने कहा…

sunaate rahiye janaab mazaa
aa rahaa hai

दीपक 'मशाल' ने कहा…

Theek kaha Ajay ji ne aapke prasang kafi ruchikar hain aap sunate rahiye, ham sunte rahenge...
Jai Hind...

ओम आर्य ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
ओम आर्य ने कहा…

बस आप सुनाते रहे ......बधाई!