बुधवार, नवंबर 11, 2009

९१ कोजी होम

सहायक होना ,एक नौकरी होती है ......और आप जिस निर्देशक के साथ जुड़े होते हैं ।
उसकी आप पर दया दृष्टी होती है तो आप को ......जल्दी निर्देशक का काम मिल जाता है ,
वरना आप का अपना कितना पी आर है .......और जब तक आप किसी निर्देशक के साथ
जुड़े है ....आप को काम आसानी से मिल जाता है ......मैं ना गुलज़ार साहब के साथ था और
न सुभाष जी के साथ .....
इसी बीच मैं बिल्कुल खाली हो गया था ......काम नही था । साऊथ के लोकनाथन जी
से मेरी मुलाकात थी ....मेराज साहब के साथ सीतारा फ़िल्म बना चुके थे ,इस फ़िल्म में मिथुन दा
और ज़रीना वाहब थी .......फ़िल्म की स्क्रिप्ट और गीत गुलज़ार साहब ने लिखा था ....

मेरी एक कहानी लोकनाथन जी को बहुत पसंद थी .....उस पर फ़िल्म भी बनाना चाहते थे
करीब चार महीने बीत चुके थे ...वगैर काम के .....लोकनाथन जी ने दो और पार्टनर के साथ मिल कर
एक और फ़िल्म बनाना चाहते हैं .....और मुझे फ़िल्म की कहानी लिखने का मौका दिया ....इनका एक
पार्टनर फ़िल्म को डायरेक्ट करेगा .....मुझे इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट लिखने के लिए मद्रास जाना था ......
मैं मद्रास पहुँचा होटल पाम्ग्रो में ठहरा ....... और दस दिनों में पूरी फ़िल्म की स्क्रिप्ट लिखी
निर्देशक शाम को आते कहानी सुनते शराब पीते और दस बजे चले जाते .....मैं शराब पीता नहीं था ..... ।
दस दिनों बाद स्किप्ट पूरी हो गई .......इस फ़िल्म में आमीर खान और सलमान खान को सोच कर इसकी
स्क्रिप्ट लिखी गयी थी ........मुझसे कहा गया ......मैं ही उनको चल कर स्क्रिप्ट सुना दूँ ....और दोनों ऐक्टर
उस समय उटी में किसी फ़िल्म की शूटिंग कर रहें है ......मैंने पैसे कीबात की ....तो आना कानी करने लगे
मैंने कहा .....मैं तभी स्क्रिप्ट सुनाने जाऊंगा जब आप पैसे देगें ..... ।
दो दिन बीत गए ....बच्चों की याद आने लगी ....मेरे दोस्त लोकनाथन जी थे नही ....और निर्देशक
ने स्क्रिप्ट अपने पास रख ली ......मैंने कहा मुझे अभी मुम्बई जाना है .....मैं उनकों वहीं स्क्रिप्ट सुना दूंगा
मुझे ट्रेन से भेजा गया .....यह कह दिया हवाई जहाज का टिकट नहीं मिल रहा है ...यह मेरा दुसरा धोखा था
पहला टी पी अग्रवाल ने दिया था .....सोतेला पति film मुझसे छीन कर बी आर ईशारा को देकर ...वरना
मेरे निर्देशन की पहली फ़िल्म सौतेला पती होती ...........
बम्बई खाली हाथ पहुँचा .......पर बच्चों से मिल कर सब भूल गया ......पर पत्नी के तेवर बदले
नहीं ......कैसे वो लोग खा सकते हैं आप के मेहनत के पैसे ?............

महीने बाद मेरी मुलाकात लोकनाथन जी से हुई .......मैंने उनको सारी बातों से अवगत कराया ....
उन्होंने ने बताया मेरी पार्टनर शिप ख़तम हो गई .......उन्होंने बताया सारा पैसा आप पे होटल के खर्चे पे ख़तम
हो गया ......मैं पहचान को ख़तम नही करना चाहता था ........चुप रहने में समझदारी थी ।

2 टिप्‍पणियां:

इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

फिल्मी दुनिया का तो मूल मंत्र ही यही है जी :

बड़े धोखे हैं इस राह में...........

ओम आर्य ने कहा…

बहुत ही बनावटी दुनिया है जहाँ धोखा भी हर पल नजर गडाये रहती है ..........