सोमवार, दिसंबर 07, 2009

९१ कोजी होम

हम ने जितनी शूटिंग की थी ,सारा निगेटिव डेवलेप हो चुका था । रस प्रिंट को देखने के लिए हमें
ओसाका जाना था ,मेरे साथ कैमरा मैन.........और निर्माता हम सभी लोग ओसाका पहुंचे वहाँ एक
थेटर में ट्रायल रखा हुआ था .....हम सभी ने देखा ......सभी को बहुत अच्छा लगा ......दो घंटे के बाद हम लोग उस लोकेशन पे पहुंचे जहाँ शूटिंग होनी थी ॥

निर्माता की इच्छा थी ....मैं शूटिंग पूरी होने के बाद ...मैं यहीं जापान में रुक जाऊं और
फ़िल्म की एडिटिंग कर ,फ़िर हिन्दुस्तान जाऊं । ......सच कहूँ डेढ़ महीने के बाद ....अपने देश की अपने बच्चों की इतनी याद आने लगी थी .....की यहाँ अब और रहने का मन नहीं कर रहा था ......इस बात से हमारे निर्माता मुझ से नराज रहने लगे ......मैंने उनकों समझाया ...एडिटिंग मुम्बई करना ही अच्छा ही रहे गा ।
१४ दिसम्बर १९९० को हम लोगों की वापसी थी ,हम सभी लोग बहुत खुश थे ...उतने ही खुश थे जितना हम लोग यहाँ आने के लिए थे ....अपनी जमीन अपनी होती है ...हम सभी लोग ...खरीद दारी कर रहे थे ....अपनों के लिए ....... ।
मैंने बच्चों के लिए खिलौने लिए ...बड़े बेटे के लिए ....स्वीमिंग करता था ,उसके लिए फ्लोट .गागेल्स ,स्टाप वाच ..., वाइफ के लिए लिपस्टिक ...और सोने की चेन ॥
जितने पैसे निर्माता ने दिया था .....सब तो नहीं पर ५००० यान बच गया ......मैंने अपने लिए कुछ ड्रिंक्स ले लिया ...... ,
आज शूटिंग में कुछ जापानी लोगों के साथ थी .....जिसमें हमारा हीरो उनसे जापानी भाषा में बात -चीत करनी थी ....हमारा हीरो निर्देशक की तरह काम कर रहा था ...उन्हें समझा रहा था .....अनिल को जापानी भाषा अच्छी तरह से आती थी .....शाम तक शूटिंग आराम से हुई ....मेरा जापानी सहायक आज फ़िर अपने घर ले गया .....हम जहां रहते थे वहाँ से तीन घंटे की दूरी पे था ....

रात करीब नौ बजे ...मैं उसके घर पहुंचा ...सातो की माँ बहुत खुश थी मेरे आने से
इनका छोटा सा घर, सिर्फ़ दो कमरे ....एक छोटा सा किचन ....यहाँ लोग ज्यादा तर, लोग जमीन पे ही सोते हैं .....चटाई एक पतला सा गद्दा और एक छोटा सा तकिया जिसमें रुई की जगह राई भरी थी

मुझे लग रहा था आज रात मुझे यहीं रहना पड़े गा । ....यहाँ पहुँचने के बाद मुझे कुछ एसा लग रहा था ...जैसे सातो के साथ मेरा कोई पुराना रिश्ता है .....पछले जन्म का ।

सातो की माँ सिर्फ़ हिन्दुस्तान के बारे में पूछती रही ......एक प्रशन किया मुझ से
.....क्या इन्डियन लोग एक ही शादी करते हैं ...? पत्नी के मर जाने के बाद .....दुसरी शादी नहीं करते हैं
? मैं चुप रहा ...फ़िर कुछ सोच के कहा ....हाँ सही कह रहीं हैं .....आप .....सारी बातें सातो के हेल्प से ही हो रही थी ....फ़िर उस बूढीमाँ ने कुछ गुस्से में कहा ,,,,जिसका अनुवाद सातो ने नहीं किया ......मैं सातो
की तरफ़ देखता रहा .....पर उसने कुछ नहीं कहा मुझसे ....पर मैं जान गया था क्या कहा होगा ?जापान
में औरत बदलना आम बात थी ....हर आदमी चाहे वो शादी -शुदा हो ...पर उसके रिश्ते करीब चार -पाँच -औरतों से होगा ही ....हर शादी -शुदा औरत का भी यही हाल है ।
......हमारे बीच ख़ामोशी छाई रही ....सातो ने मेरे लिए ड्रिंक्स बना दिया ....माँ उसकी उठ कर किचन में चली गयी .....मैं दो पैग से ज्यादा नहीं पीता ....माइल्ड सेवेन निकाला और पीना शुरू किया ....सातो की माँ ने हिदुस्तानी खाना सर्व किया ....शायद बाहर से मंगवाया था ...सातो को अब हिन्दुस्तानी खाना अच्छा लगने लगा है ... । मैं खाना खाता रहा ,और सातो की माँ के बारे में सोचता रहा ....वह काफी बूढी थी ...वैसे जापानी लोगों की उम्र काफ़ी लम्बी होती है ।
फ़िर माँ ने मुझ से पूछा .....खाना कैसा लगा ....मुझे तो अच्छालगा था ....मैंने हँसते हुए कहा ...बहुत अच्छा .....फ़िर सातो ने बताया ...यह सब माँ ने ही बनाया है ....मैं हैरान था ..इतना अच्छा खाना ..कहाँ सीखा होगा इन्होने ......?
.....यकीन नहीं हो रहा था ... मैंने अपने हाथ की बंधी घड़ी निकाल के माँ के हाथ में पहना दिया .....
बहुत मना किया माँ ने ..पर माना नहीं मैं ....मुझे नहीं मालूम ...उस बूढी आँखों में आंसू क्यों ?
मैंने सातो से कहा चलो बाहर टहल के आते हैं .....हम दोनों सडक पे आगये थे ,सुनसान
सडक अच्छी लग रही थी .....सातो जहाँ रहता था ...वह सरकारी बिल्डिंग थी ...जहाँ गरीब लोग रहते थे
....हमारे बगल एक कार आ कर रुकी .....जिसमें से सातो की कज़नउतरी ..उसे देख कर मैं पहचान गया
.....वह मुझे देख कर मुस्कराई हाथ मिलाया ......उसने काफ़ी पी रखी थी ....पी तो हम लोगो ने भी थी
...पर
उसने हम से जादा ....बात चीत करने लगी ....बात चीत करते करते वो जिद्द करने लगी मैं उसके घर चलूं बताया .....वहीं पास में ही वह भी रहती थी औरफ़िर से जिद्द करने लगी ....अपने घर चलने के लिए ...मैं नहीं
जाना चाहता था ....सातो के कहने पे हम लोग उसके घर गये ....

घर उसका एक छोटा सा बँगला नुमा था ...कई कमरे थे ....उसके घर का हाल बहुत ही खूबसूरत था .....सातो ने बताया ..सी इज वेरी रिच .....रात का एक बज रहा था ...उसने हम लोगों को ड्रिंक्स सर्व किया ...मैंने मना किया ...खाना खाने के बाद मैं नही पीता , सातो के कहने पे मैंने पिया...

...
उस रात हम तीनो .....खूब बात -चीत करते रहे ...उसकी कजन, इंग्लिस अच्छा जानती थी ...इस लिए
बात -चीत में कोई तकलीफ नहीं थी ....चार बजे मैं और सातो ...वापस युनिअमा आ गये ...सिर्फ़ एक घंटा ही सोया ......और फ़िर शूटिंग ...आज १२ तारीख थी ....१४ को सुबह की फलाईट थी टोकियो की
और फ़िर वहाँ से ....करीब दस बजे दिन में ....दिल्ली की .....वापसी .......

जारी .......

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