गुरुवार, दिसंबर 24, 2009

९१ कोजी होम

आज तक यही देखा ....अपने सोचे कुछ नहीं होता ...जिस तरह नेचर चलता है ...वैसे ही हमें अपना जीवन
चलने देना चाहिये .........जिस तरह से हम भूख लगने पे कुछ खाने को आतुर हो जाते हैं ....पर नहीं ......यही गलती हम अपने जीवन में करते हैं .........बस यही गलती हमें कहीं का कहीं फेंक देती है ...जब मैं इक बार निर्देशक बन गया था .....दुबारा सहायक का काम नहीं करना चाहिये था .....
जहां तुम ले चलो ........फिल्म पूरी हुई ......इस फिल्म के निर्माता डाक्टर अनिल मेहता जी ने दुसरी फिल्म "बेलगाम " का निर्देशन मुझे दिया .......हम सभी लोग अनिलजी को डाक्टर साहब कह के बुलाते थे ..वैसे वह दिल्ली के रहने वाले थे .....पर हालैंड में सपरिवार रहते थे ......डाक्टर साहब जैसा इंसान नहीं देखा था मैंने आज तक .........
उन्हें सिर्फ फिल्म बनाने का बस शौक था .....तीन फ़िल्में बना चुके थे ......पर उन्हें किसी अपने ने धोखा दिया ......
सहारा की नौकरी चलती रही .......यहाँ मैंने सहारा के लिए कई प्रोग्राम बनाये ......


सन ९४ में प्रोग्रामिंग टीम से कहा गया .....आप सभी लोग कहीं और काम देखें .....जब चैनेल
शुरू करेंगें तब आप सभी लोगों को बुलायेगें .......
नौकरी छूटने के बाद ,,,कुछ इस तरहं लगा ....जैसे किसी खूंटे से बंधा था ...आजाद हो गया
बाहर सीरियल का काम बहुत जोरो में था ....मैं इक साथ तीन सीरियल कर रहा था ....
रमण कुमार जी " तारा " सीरियल बना कर नामचीन हो चुके थे ....उन्होंने बुलाया ...और अपने साथ काम करने को कहा ......
बेलगाम फिल्म चली नहीं .....सीरियल का काम चल निकला था ....शीला ...सीरियल ...वाह मजा आ गया .....कमेडी सीरियल था ......यह सब चैनेल पे टेलीकास्ट हो रहा था ...यह सब मैं लिख भी रहा था और निर्देशन भी .......
सन ९९ में काम बिलकुल से कम हो गया .......तभी गुलज़ार साहब ने "हु तू तू "फिल्म शुरू किया
मुझे बुलाया ....और मैं फिर से सहायक बना ......गुलज़ार साहब की बात मैं टालनहीं सकता था ...वही ही मेरे सब कुछ थे ...माता -पिता गुरु ...संसार में किसी का सहारा था तो सिर्फ उनका .....परिवार में थे तो बहुत लोग पर ...बस नाम के .....
यह फिल्म नवम्बर९९ में पूरी हो गयी .....तभी फिर से सहारा ने बुलाया ...उनका चैनेल शुरू हो
रहा था ....

1 टिप्पणी:

अजय कुमार ने कहा…

लगता है खूंटा पसंद आ गया था , फिर बंधने चले गये, चलिये देखते हैं आगे क्या होता है