बुधवार, दिसंबर 30, 2009

९१ कोजी होम

फिल्म लाईन में .....अगर आप समाचार में नहीं हैं ,तो समझिये आप पीछे रह गये हैं ....आप को अपने आप को बेचने के लिए .....हमेशा ख़बरों में रहना पड़ेगा .....यह आप पे निर्भर है ....किस रूप में रहना है आपको ...हम सभी एक प्रोडक्ट की तरह हैं .....जिसे बेचने के लिए ..आप को उसकी पुव्लिसिटी करनी पड़ेगी ...
मुझे भी अपने आप को बेचना नहीं आता है ....यह सब करने के लिए आप को ,.एक झूठी किताब अपने पास हमेशा रखनी पडती है
जो सिर्फ आप के बारे में ही बोलती हो ....सिर्फ इमानदारी ,आप की सच्चाई व्यान करे .....यह सब मैं नहीं कर पाया ......
इसी लिए नौकरी कर ली ...आज मैं बहुत खुश हूँ ...महीने की एक तारीख को वेतन मिल जाता है .....वरना निर्माता से अपना ही पैसा मांगने के लिए ,रंग -रंग के झूठ बोलना पड़ता था ,..कभी यह कहना पड़ता था ...घर का किराया देना है ...कभी यह कहना पड़ता ....बच्चों की फीस देनी है और कभी -कभी तो अपने प्रिय को मारना भी पड़ता था
.........जिसकी दूकान चलती है ...उसी की चांदी है ....सीरियल का जब से जमाना आया है .....तब से बहुत कुछ ठीक
हो गया है ..लोगों को पैसा मिल जाता है ...काम मिल जाता है .....यहाँ तक सीरियल के एक्टर की ज्यादा पहचान है
मैं उन घटनाओं का जिक्र करूं गा ......जिनका होना अपने आप में एक कल्पना से कम नहीं ...यह सारी घटनाएं
मेरे और गुलज़ार साहब के बीच हुई ........पहली घटना कुछ इस तरह है .......
सन २००३ की बात है .....मेरा बड़ा बेटा मुनीश गुलज़ार साहब से मिलने गया ......मुनीश को बहुत प्यार करते हैं ......बात -चीत में उन्होंने उस से पूछा.....? पापा तो सहारा चैनेल में ही काम कर रहें है .....मेरी बड़ी
बेटी यम बी एय कर रही थी .....छोटा बेटा बी .कॉम कर रहा था .....और बहुत दिनों से बच्चे जिद्द कर रहे थे ...
कम्पुटर खरीदने के लिए ......उस वक्त कम्पुटर करीब करीब चालीस हजार का मिलता था ....
शाम को जब मुनीश घर आया .....तो उसने मुझे एक लिफाफा दिया ....जब मैंने उसे खोला तो
उसमें तीस हजार रूपये थे ....और एक चिट्ठी ...जिसमे लिखा था ...बच्चों को कम्पुटर खरीद कर दे दो ......
इस तरह की या इससे भी अलग घटनाएं हैं ....उनके इस रूप से लोग परचित नहीं है .....मैं बताउंगा एक अलग रंग के गुलज़ार साहब .........को ....जो बड़े मीठे भी हैं .....और गुस्सा आने पे ...गुस्सा कैसे करते हैं

3 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार ने कहा…

एक संवेदनशील शायर भी और एक संवेदनशील व्यक्ति भी

नीरज गोस्वामी ने कहा…

गुलज़ार साहब को आपके माध्यम से जानना एक ऐसा अनुभव होगा जिसके लिए हम सदा आपके आभारी रहेंगे...आप अपने ब्लॉग का रूप रंग बदलिए और फॉण्ट साईज भी बड़ा कीजिये...और अधिक मज़ा आएगा पढने में...बहुत से टेम्पलेट हैं जिनमें से आप चुन सकते हैं...कोशिश कीजिये न...
नीरज

Udan Tashtari ने कहा…

गुलजार जी के बारे में बहुत जानने मिल रहा है आपसे..आभार.



यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

आपका साधुवाद!!

नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी