गुलज़ार साहब को घूमने का बहुत शौक है और वह भी अकेले ,निकल जाते हैं किसी वोर
आज तक यह आदत कायम है ....महीने में पांच दिन तो बाहर ही रहते हैं ...पर रहते हैं वहीं जहाँ
वो चाहते हैं ....एक बार की बात है .....गुलज़ार साहब को दिल्ली जाना था ...मिर्ज़ा ग़ालिब सीरियल
की शूटिंग करनी थी .....जहां ग़ालिब साहब का बचपना और जवानी बीती थी ......मैं भी साथ में था
हमारे निर्माता ने उनके लिए राजदूत होटल में रूम बुक करा दिया था .....और यह झूठ बोल दिया ,
आशोका होटल में रूम नहीं मिला .....यह सब मुझे पता था ....निर्माता पैसा बचाने की कोशिश कर
रहे थे ......गुलज़ार साहब राजदूत होटल में आये ,कमरे में बैठे .....और राजेन्द्र भी से पूछा ...आशोका
में क्यों नहीं रूम बुक किया ......वही झूठ बोला .....अशोका में रूम नहीं मिला ....
गुलज़ार साहब कुछ नहीं बोले ,चाय पिया और राजेंद्र भी से कहा ....अशोका का नम्बर
मिलाओ और मेरी बात कराओ .......और जब गुलज़ार साहब ने बात की तो ......रूम फटा -फट मिल
गया ....और गुलज़ार साहब कुछ बोले नहीं ....बस चलते हुए यही कहा यहाँ राम लाल रुक जाएगा ...
आशोका होटल का पेमेंट मैं दे दूंगा ......और राजेद्र भाई ने लाख कोशिश की अशोका का पेमेंट वह करें
पर गुलज़ार साहब ने उन्हें करने नहीं दिया .....वह दिन था ....उसके बाद जैसा गुलज़ार साहब कहते
वैसा ही होता ....काम लेने का यह तरीका बहुत ही अच्छा लगा ......गुलज़ार साहब इस बात को मानते
वह हमेशा इसी तरह से पेश आते हैं ....जो उनकी बात नहीं सुनते ....
गल्ती करने पे डांटते नहीं .....और गलती करने वाला डांट के इन्तजार में सालों बैठा
रहता दुसरी गलती करने का मौक़ा ही नहीं मिलता .....बात घूमने से निकल कर डांट प् चली गयी
जब वह विमल दा के पास सहायक थे .....और जब बरसात का मौसम आता ....गुलज़ार साहब भीगते
हुए निकल जाते ....मोहन स्टूडियो से पवाई लेक की तरफ चल देते ...यह उन्हीं का बताया हुआ है एक
बार बरसात में भीगते हुए जा रहे थे ....तभी उनके पास एक कार रुकी .....कार की खिडकी से झांक कर
शशीकपूर जी ने कहा ......कहाँ भीगते जारहे हो ....?.आओ अंदर बैठ जाओ ....!.फिर कुछ सोच कर शशी
.............जी ने कहा भिगो - भिगो और उन्होंने ने भी कार किनारे खडी की और दोनों लोग पवाई लेक
की तरफ चल दिए .......
घुमने पे ही .....मीरा फिल्म के दौरान पूरा यूनिट कभी उदयपुर में शूटिंग करता ...कभी
नाशिक में आ जाता हम सभी लोग मुम्बई आ जाते ...पर गुलज़ार साहब अगली शूटिंग का लोकेशन
देखने बद्रीनाथ चले गये .बाबा काली कमली वाले अशोक जी से पहचान हुई ....और उसी दौर से चवनप्रास खाने लगे ..........
मैं भी, उनके साथ मीरा फिल्म रिलीज के बाद .......पूरा साउथ का टूर किया .....और
वह भी .....गाडी वह खुद ही चलाते थे .....उस समय उनके पास फियट कार थी ......
आज भी वह अपने जन्म दिन के दौरान ,निकल जाते हैं .....अब उनके साथ उनकी बेटी -
और दामाद गोविन्द जी रहते हैं ......मैं जब अब मिलता हूँ ....उस टूर के बारे में बताते हैं .कहाँ गये थे । ..इस बार वह
केरल प्रदेश का टूर कर के आये थे.......किसी भी शहर में .....वह रात के अंधेरे में घुसते हैं .....पहचान छिपाने के लिए .....वरना घूमना तो रह जाएगा ....इंटरव्य ज्यादा हो जाएगा ......
2 टिप्पणियां:
रोचक पोस्ट...गुलज़ार साहब के अछूते पहलुओं पर से पर्दा हटा कर उनके प्रशंकों पर बहुत एहसान कर रहे हैं आप...शुक्रिया...
नीरज
दिलचस्प रहता है आपके माध्यम से जानना!!
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