गुलज़ार साहब का दर्द ..........किसी से नहीं बाँटते ....उनकी शायरी में बहता हुआ ,
नज़र आयेगा ...उसी दर्द को एक खूबसूरत सी माला जरुर बना देते हैं ....
जैसे .......हजार राहें ,मुड के देखीं
कहीं से कोई सदा न आई
बड़ी वफा से निभाई तुमने
हमारी थोड़ी सी बेवफाई .......
इन्ही सब दर्दों को वह अपनी डायरी में लपेट लेते हैं ....और वक्त -बेवक्त आप तक पहुंचा देते हैं
किसी से उन्हें कब और कहाँ मिल जाय दुःख , चाहे वो अपने का दिया हो या किसी गैर का ....
उनकी आँखे बहुत जल्दी छलक जाती हैं ......अन्जाने में हो सकता है ...मैंने भी कोई दर्द दिया हो
जो उनके डायरी के पन्नों लिखा हो ......
एक बार मुझसे बहुत खफा थे (इस मशीन में बिंदी लगाने की बड़ी असुभिधा है )
मुझे करीब दस बर्षों बाद पता चला .....इतने साल बीत गये थे कि मैं माफी भी नहीं मांग सकता था ।
वह गलती मैं आप लोगों से जरुर बाटूंगा .....एक बहुत खूबसूरत फिल्म थी गुलज़ार साहब की ..जिसका
नाम था " लिबास " उस फिल्म की डबिंग करना बाकी था ......निर्माता विकास मोहन जी को इस
फिल्म को किसी फिल्म फेस्टिवल में भेजना था .....और गुलज़ार साहब कोकहीं जाना था ....
जैसा वह (विकास जी ) कहते हैं ....गुलज़ार साहब ने यह इज्जात दे दी थी ....मैं उस फिल्म की डबिंग
करा दूँ ....मैं इस फिल्म का मुख्य सहायक था ....मैंने इस फिल्म की डबिंग करा दी .......
वैसे यह फिल्म किन्ही वजहों से रीलीज नहीं हो सकी .....इसी फिल्म का एक गीत है
जो मुझे बहुत अच्छा लगता है ......
सीली हवा छू गयी
सीला बदन छिल गया
नीली नदी के परे ....
गीला सा चाँद खिल गया ॥
डबिंग कराने की वजह से खफा थे ......मुझे जनार्दन ने बताया था ....जो गुलज़ार साहब का
सेक्रेटरी था .....उस वक्त .....जब मुझे पता चली यह बात,, मैं उनसे करीब साल भर, डर के मारे नहीं
मिला ....और जब मिलने गया तो मेरे साथ मिर्जा ग़ालिब के निर्माता थे ......गुलज़ार साहब ने कहा
.....बहुत दिनों बाद आये हो ? ....मेरे चेहरे पे एक भय उभर आया ....वतौर जवाब मैंने कहा .....
मैं सहारा में काम करता हूँ ...और वह गोरेगांव में है और आप बांद्रा में ....उलटा पड़ता है ।
यह सुन कर गुलज़ार साहब बोल पड़े .....जब बाप बूढ़ा हो जाता है तो बेटों के पैर
उलटे ही पड़ते हैं .....यह सुन कर मैं पानी -पानी हो गया ....वो दिन था और आज का दिन
बेटे की तरह पिता का हाल पूछने जाता हूँ....हर पल एक ही चिंता रहती .....अब कुछ ऐसा न का दूँ
जिसे उनका दिल दुःख जाय.............
2 टिप्पणियां:
'दिल तो बच्चा है जी' दिल पर हावी है, इसलिए अपने ब्लॉग पर कुछ लिखा है।
अमर उजाला में आप के ब्लाग को पढ़ा बधाई
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