सोमवार, फ़रवरी 01, 2010

९१ कोजी होम

आज मैं गुलज़ार साहब के उन सहयोगिओं के बारे में बात करूँगा ,जो उनका जैसा बनना चाहते थे

....पर बन नहीं सके ....कपड़ों की नक़ल तो जरुर की .....मैं गुलज़ार साहब की पहली फिल्म "मेरे अपने "
से बात करूंगा .......



गुलज़ार साहब ......के सहायक जो उनकी पहली फिल्म ...मेरे अपने में थे ।

पुष्पराज ,मेराज ,राज .यन सिप्पी और प्रभात ।

दुसरी फिल्म शुरू हुई "परिचय " इस फिल्म में पुष्पराज और प्रभात छोड़ कर चले गये ।

अब मुख्य सहायक मेराज हो गये ....और राज सिप्पी इनके साथ दो नये सहायक आये चंदर शेखर
और सजीव कपूर । चंदर को सब लोग चंदू कह के बुलाने लगे । जब यह साहब निर्देशक बने तो अपना नाम

बदल लिया और रख लिया ....यन .चंद्रा .....और तेज़ाब जैसी फिल्मे बनी ।

सजीव कपूर साहब विलेन कमल कपूर साहब के बेटे थे .....बाद में चल के यह लेखक बन गये ।

अगली फिल्म शुरू हुई कोशिश .....इस फिल्म में यही चारो सहायक रहे ।

अगली फिल्म का नाम था "अचानक " इस फिल्म में एक नया सहायक गुलज़ार साहब के साथ जुडा

उसका नाम था राम लखन मिश्रा .....यह साहब फिल्म की पढाई कर के आये थे ....पूना से

पर गुलज़ार साहब उन्हें राम लाल कह के बुलाते थे .... ।

अगली फिल्म " खुश्बू " थी जो जीतेन्द्र साहब की थी ,इसमें भी वही चारों और एक नया सहायक

राम लाल कुल मिला कर पांच सहायक ...निर्माता सिर्फ के पैसा देता था ....राम लाल को

गुलज़ार साहब अपनी जेब से देते थे ...१५० रुपया महीने का ...

इसी दौर में मेराज साहब निर्देशक बन गये फिल्म थी ..".पलकों की छावं में "मेराज साहब के साथ

सजीव कपूर उनका मुख्य सहायक बन के चला गया ....अब गुलज़ार साहब का मुख्य सहायक राज यन सिप्पी

हो गये .....

अगली फिल्म थी " आंधी " जिसके निर्माता थे जे ओम प्रकाश जी ....इस फिल्म की शूटिंग में मेराज साहब

भी आ जाया करते थे ....
इसी समय " मौसम " फिल्म शुरू हुई ....हमारे साथ एक नया सहायक जुडा .....संतोष सरोज यह साहब

अमित बच्चन जी के सेक्रेटरी के रूप में काम कर चुके थे ।

किनारा फिल्म शुरू हुई ....राज यन सिप्पी ...निर्देशक बन गये ......और यन चंद्रा ...चंदू मुख्य सहायक हो गये

संतोष सरोज भी छोड़ के चले गये और संगीत कार राजेस रोशन के सेक्रेटरी बन गये ....फिर लेखक बन गये ...

कालिया फिल्म लिखी ...अब गुलज़ार साहब के पास रह गये पुराने दो सहायक चंदू और राम लाल ...

दो सहायक और जुड़े पार्थ चक्रवर्ती ,काका कपूर और विनोद गुहा ......

इन सब के साथ मीरा फिल्म ,नमकीन फिल्म .किताब फिल्म बनी

अंगूर फिल्म शुरू होते -होते चंदू निर्देशक बापू के पास चला गया .....अब मुख्य सहायक राम लाल हो गया ।

और पार्थ कुलदीप गरेवाल और असफाक अहमद जुड़ गये .....फिर लिबास फिल्म शुरू हुई इस फिल्म यही सहायक रहे ।

इज्जाजत " फिल्म में नये सहायक आगये ....मुख्य सहायक कैलाश अडवानी असफाक ,और अहमद

दो और लोग जुड़े ....लेकिन फिल्म में यही सहायक रहे .....

इसके बाद माचिस फिल्म में सारे सहायक बदल गये ....शलीम आरिफ़, सम्राट और मेघना गुलज़ार शामिल हुए

कई सालो बाद हु तू तू फिल्म शुरू हुई ...इस फिल्म शलीम आरिफ़ मुख्य सहायक थे राम लाल फिर से एक बार

फिर आजुडे और तीसरे सहायक संजय तिवारी थे .....

यह कुल तीस सालों का सफ़र था ....इक निर्देशक का ....अब गुलज़ार साहब ने फिल्म निर्देशन बंद कर दिया

फिल्मों का ....सिर्फ गीत...... लिख रहें हैं ,इन सहायक के अलावा दो और सहायक थे जिनके नाम मुझे याद

आ नहीं रहा है .....

1 टिप्पणी:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आभार इस जानकारी के लिए...याने आप बहुत सालों तक उनके साथ रहे...कितने भाग्यशाली हैं आप...
नीरज