बुधवार, अप्रैल 27, 2011

धन

सच कहता हूँ मुझे धन से बिलकुल प्यार नहीं है
.....आप सोचते होंगे मैं झूठ बोल रहा हूँ ......मुझे

किसी से प्यार है वह भी कान्हा से ........मेरे बहुत प्यार करने पे वह मेरे

घर खुद ही आ गये .....और आज कल उन्ही से खेलता हूँ

पहले अपने विचारों से कान्हा के गोवेर्धन में उनके घर जाता था

कभी फकीर बन के कभी गरीब बन के

जिद्द बस यही होती जो कुछ भी लूंगा सिर्फ कान्हा के हाथ से ही

लूंगा ..........शायद इसी जिद्द को पूरा करने के लिए वह खुद ही

गये ..............

3 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

इससे बढकर धन और क्या होगा……………सब कुछ तो मिल गया।

vandana gupta ने कहा…

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सुन्दर भाव