मंगलवार, जुलाई 26, 2011

यादें

पहले मैं बता चुका हूँ .....मेरा लेफ्ट हाथ बचपन एक बार टूट चुका था
कुछ महीनों के बाद फिर से खेलते हुए टूट गया ...फिर उसी हड्डी
बैठने वाले के पास गये .......मेरे दर्द को देख के पिता जी ने रेलवे
अस्पताल में दिखाया ......उस डाक्टर क़ा नाम मुझे आज भी याद है
डाक्टर घोष थे .....उन्होंने मेरे हाथ को देखा और आपरेशन करने की सलाह दी
दो चार दिन बाद आपरेशन की बात तय हो गयी ......
जिस दिन आपरेशन था एक दिन पहले मुझे अस्पताल ले जाया गया (यह सब
सन ५८ की बात है )सुबह मुझे आपरेशन थेटर में ले जाया गया ............
....डाक्टर घोष ने जब मेरे हाथ को देखा तो कहने लगा जहाँ आपरेशनकरना है
वहां तो अभी जखम है आपरेशन नहीं हो सकता है
..........मेरे अन्दर जो भय था वह गायब हो गया .....मैं आपरेशन थेटर से बाहर निकाल
लिया गया ..........मेरे हाथ क़ा जखम पक चुका था और यह सब मालिस वाले ने हाथ को
सीधा कर के लकड़ी बाँध दिया था ......उस रात दर्द से बहुत रोता रहा ....मेरी बड़ी चाची
वहीं पर थी उन्होंने वह पटरी निकाल दिया ...........मालिश वाले ने इतनी काश के बांधा था
कोहनी पे जख्म हो गया था
उस समय जख्म को भरने के लिए दवाई भी शायद नहीं होती थी ...मेरी बड़ी चाची जी सेम की
पत्ती को पीस के तवे पे देशी घी में सेंक के जख्म पे लगा दिया करती थी ......इस तरह करते हुए
करीब बीस दिनों बाद जख्म ठीक हुआ ...............
उस दर्द से छुटकारा पा लिया ....................आज भी वह मेरा हाथ सीधा नहीं है ठीक नहीं हुआ ...

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