.............पत्नी अक्सर कहती .................आज कल कुछ लिख नहीं रहे हो ?
मेरे पास जवाब कुछ नहीं है ......कुछ घटता ही नहीं है ...तो क्या लिखूं , कुछ हो तो
...लिखने क़ा मजा भी आता है ...वैगर बात के ....क्या जोडूं ?
सब कुछ बिलकुल शांत सा है ना कोई हवा चल रही है ....ना कहीं बरसात ही हो रही है
.................बहुत सोचने पे , सोचा क्यों ना अपनी पत्नी पे कुछ लिखूं ...............
................एक लाईन सूझी
मेरी पत्नी की सभी तारीफ़ करते हैं
मुझे क्यों नहीं कुछ नजर आता.........
मैंने अपने चश्में क़ा नंबर ठीक कराया
अब जब देखता हूँ .....मुझे मेरी बीबी माँ लगती है
उस चश्में वाले से मेरा खूब झगडा हुआ
अब की जो उसने चश्मा दिया ...यह बिलकुल फिट है
अब वह तीस साल पहले वाली लगती है
तब मैंने उसे देखा ही नहीं था ....आज देख के लगता है
क्यों मेरे दोस्त मेरी पत्नी की तारीफ़ करते हैं ............
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें