बुधवार, दिसंबर 07, 2011

मैं और गुलज़ार साहब

कमरे में झाँक के देखा तो ...गुलज़ार साहब आँखे बंद किये हुए लेटे थे
सुबह से , लोगो से मिलना इंटरव्यू देना ....थके होंगे आँख लग गयी
होगी ,वैसे दिन में सोते नहीं हैं .......कुछ सोच के मैं नीचे हाल में बैठ गया
सुन्दर चाचा मेरे पास आगये ....और होने लगी उससे बातें ,गुलज़ार साहब के यहाँ
सभी उसे चचा कह के बुलाते हैं ,सुन्दर साऊथ क़ा है ,हिन्दी कुछ इस तरह से
बोलता है ,कुछ समझ में आता ही और ज्यादा तर पल्ले नहीं पड़ता .........
..............................एक नौकर मोहन चाय ले कर आ गया , एक बात है
साहब के यहाँ चाय भी बड़े सलीके से मिलती है ,चाय क़ा केटल होगा चीनी होगी
कप होगा और अपने हिसाब चाय लो ,चीनी लो ......
चच्चा की बाते चलती रही .....अभी हाल में उसकी पत्नी क़ा देहांत हो गया ....एक
लडकी है उसको साले के यहाँ छोड़ के आ गया है ....उसके ब्याह की चिंता लगी हुई
है .....सारी उम्र साहब को दे दी ...... छुटिओं में गया बस एक महीने के लिए तीस
सालों में सिर्फ तीस बार ही गया होगा ,सिर्फ नौसव दिन दिया होगा अपने घर वालों को
...अब बिलकुल अकेला हो गया ....कोई नहीं रहा ....बेटी भी एक दिन पराई हो जायेगी
....कहते -कहते आँखे नाम हो गयी .....तभी मोहन आया .....साहब जाग गये हैं .....
बताया उसने ......और मेरे बारे में बता दिया ....की मैं नीचे बैठा हूँ ...........
बीस सीढ़िया चढ़ के ऊपर पहुंचा .....पैर छू के उनके पास बैठ गया .....थकान की बात होने
लगी ....सुबह से क्या -क्या हुआ ....अब हमारे बीच ,सिर्फ हाल -चाल पूछना ...बच्चों के
बारे में जानना .....
...........सब ठीक -ठाक है जान लेने बाद ......मेरे मन में भाई के परिवार के बारे में ...जो जग
ज़हीर है अकेला -पन भाई क़ा ....सब कुछ है बहुत सारी किताबे ,ढेर सारी शायरी डायरी के
पन्नों में विखरी हुई
.....फिर भी अकेले पन से इतना प्यार हो गया ...उसको छोड़ना नहीं चाहते हैं .....किसी क़ा साथ नहीं चाहते हैं .....राह चलते -चलते कोई राही मिल जाय पल -दो पल साथी बन जाय बस उतनी ही
दूर क़ा साथ चाहते हैं
कोई फांस नहीं चाहते ,,,,,जो दर्द बन के उन्हें सेलता रहे ...
मैंने अपनी बात कही उनसे एक छत हो ...आप हों ,दीदी हों ,बेटी हो नाती हो और बेटे की तरह
दामद हो .......कहने लगे फिर स्पेस नहीं मिलेगा ......
मेरी कुछ समझ में नहीं आया ,.....

कोई टिप्पणी नहीं: