गुरुवार, फ़रवरी 09, 2012

चंद्रमुखी (३)

फोटो देख के कई तरह के विचार मन में आने लगे ,
यह लडकी है कौन ?बहुत ध्यान से उस फोटो को देखने लगा ,
फिर अपने दोस्तों को दिखाया ,वे सभी देख के पहचान गये
और लगे मेरा मजाक उड़ाने ......पर मैंने असल बात छिपा ली
की इस लडकी की फोटो शादी के लिए आयी है ........................... ।

मैं घर आ गया ,माँ को फोन पे बता दिया ...मै उस लडकी को देखना चाहता हूँ
माँ ने कहा तू एक -दो रोज में आ जा ,देख जा, वह भी अपने मामा के घर आयी है
मेरा परिवार पूना में रहता था डेक्कन जिमखाना में .....हमारा पुराना बँगला था
जो मेरे दादा जी ने खरीदा था .......

अपने आप को समझाने के लिए ,अपने आप से कहता रहा ....हो सकता है
वह आदमी उसका भाई हो ....उसके साथ कुल्लू -मनाली घूमने आयी हो .....
उसकी खूबसूरती मेरे अन्दर इतनी बस गयी थी .....मैं हर हाल में उससे शादी करना चाहता था
जब से उसकी फोटो देखी ....ऐसा लग रहा था ,जैसे उसको नकार के मैं कुछ हार जाउंगा
जो मैं चाहता नहीं था...............


शाम की बस पकड़ी और पूना चल दिया ,शिवाजी नगर उतर के घर पहुंचा
माँ देखते ही बहुत खुश हुई और कहने लगी ,मुझे मालूम था ... चंद्रमुखी खूबसूरती देख के
तू रुक नहीं पायेगा ......कल चलेगे लक्छमी पेठ


यहाँ आ के एक बात पता चली ...मेरे दादा जी इस ब्याह से खुश नहीं थे .....उनका बस
यही कहना था ....शादी के लिए बहुत सुंदर लड़की अच्छी नहीं होती .........
मुझे दादा जी बात समझ नहीं आ रही थी ....ऐसा वह क्यों कह रहे थे ?

रात सपनों में गुजर गयी .....माँ के साथ ऑटो में बैठ के उस लड़की के घर जा पहुंचे
जहाँ वह आयी थी ....हम सभी बैठ गये ...चाय आयी हम सभी ने पी .....माँ ने कहा
....अरे रमा उस लड़की को बुलाओ जिसके बारे में कहा था ...............
..........थोड़ी देर बाद वह लड़की आयी ..........हमारी आँखे चार हुई ,,मैं उसे पहचान गया...

वह भी मुझे पहचान गयी कुछ देर वह लडकी बैठी रही ...फिर कोई बहाना कर के घर के अन्दर
चली गयी ............
..माँ ने मेरी तरफ देखा .....और ईशारे से पूछा कैसी लगी ....मैंने हाँ में सर हिला दिया .....
कुछ देर वहाँ रुकने के बाद हम वहां से घर आ गये ............
शाम तक उस लड़की का कोई जवाब नहीं आया .........मैं मुम्बई आ गया ......पर उसका कोई जवाब नहीं आया ......दिन बीतने लगे साल बीत गये .......मेरी शादी कहीं और हो गयी
................मन में एक पागल पनउसके लिए था ....ऐसा नशा जो अधूरा था ..शादी के बाद
भी मैं अपनी पत्नी में कहीं उसे हो खोजता था ...........

शादी के दो साल बाद मैं अपनी पत्नी के साथ कुल्लू -मनाली आया .....पुरानी यादों
में खो गया ...पत्नी जान गयी थी मेरी कुछ यादे हैं इस जगह से .....रात मैंने अपनी पत्नी को
वह सब बताया जो चार साल पहले यहाँ ...किसी को देख के हुआ था ....

दूसरे दिन पत्नी ने जिद्द की रोहतांग पास चलना है ...हम दोनों जा पहुंचे रोहतांग पास
वही जगह जहाँ मैंने उसे देखा था ............बहुत सारे जोड़े वहाँ खड़े थे .....मेरी आँखे आज भी
उसे खोज रहीं थी ..........मुझे नकार के उसने अच्छा नहीं किया ......

.शायद उसका कोई प्यार हो जिसके साथ आयी थी वह .....लेकिन फिर शादी की बात क्यों ?

मैं इन्हीं विचारों में खोया रहा ....आज भी कहीं उसको भूल नहीं पाया हूँ ....

हम दोनों घूम के वापस मनाली आ गाये ......पत्नी ने एक बात कही ....यह हमारा आखिरी बार

कुल्लू -मनाली आना है ......मैंने पूछा क्यों ?कहने लगी मेरे रहते आप किसी और की यादों

में खो जाते है ....ऐसा मै नहीं चाहती हूँ .............उसकी बात मुझे कहीं सच्ची लगी ....और फिर अपने
आप से यह वादा किया ......उसकी यादों को अब निकाल दूंगा

रात क़ा कोई एक बजा हुआ था ....फोन की घंटी ,पत्नी नाक बज रही थी .....मैंने फोन
उठाया ...किसी औरत क़ा फोन था ......मुझसे मिलने की बात कर रही थी ............

मैं नीचे पहुंचा ....देख के दांग रह गया ................शाल ओढे चंद्रमुखी बैठी थी .....मुझे ही देख रही थी

मैं उसके पास पहुंचा ......पास की कुर्सी पे बैठ गया .....उसकी आँखे लाल सुर्ख थी ,जैसे बहुत रोई थी

मैं कुछ पूछता इससे पहले बोल पड़ी ....मैं बहुत अकेली पड़ गयी हूँ .....मैं जिसके साथ आयी थी

.....वह मर गया है ......मैं कुछ पूछता इससे पहले बोल पड़ी .....

मैं एक काल गर्ल हूँ ..............

इसके साथ आयी थी .....बहुत पी ली थी उसने ......फिर मुझे चीरने -फाड़ने लगा जिसे मैं बर्दाश
नहीं कर पा रही थी ......मैं कैसे भी उससे पीछा छुड़ाना चाहती थी ........
मैं बात रूम में छिप गयी .........जब वापस निकल के आयी ....तो देखा की वह मर चुका था ..........

फिर मै नीचे भाग के यहाँ आ गयी .....आप को रोहतांग पास पे देखा था .....और फिर होटल में आते
.......इसी लिए आप को फोन किया ...अब मै क्या करूँ ..............

................(आगे )

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