सोमवार, जुलाई 09, 2012

          गुस्सा .......

हम सभी को गुस्सा आता है ,पंडित जी   का  गुस्सा दूध की उबाल की तरह होता ,

वह खूब मीठा बोलते ,खूब प्यार करते बच्चों को ,हर सुख देने की कोशिश करते 

बस उनमे एक बात उन्हें पसंद नहीं आती .........उनकी बात को नहीं मानना ,या नहीं सुनना 

बात आज कल की है किसी बात पे वह बड़े बेटे से नराज हो गये ........उसको साथ 

चलने के लिए कह रहे थे .......जब चलने की बात होने लगी ....वह नहाने चला गया 

इसी बात पे पंडित जी नराज हो गये .......और कहने लगे निकल जाओ  हमारे घर से 

उसको नहाने से मना कर दिया .......और कहा निकल जाओ घर से .......

वह भी गुस्से में निकल जाने लगा .........माँ डर गयी... बच्चा उसका कहाँ  जाएगा.. अभी तक 

उसने चाय तक नहीं पी है .....माँ ने पंडित जी को समझाया ....पंडित जी की बात फिर कुछ समझ में आई 

...............पंडित जी को लगा  वह यह सब क्या कर रहे है ............

                           बाप बेटे दोनों चुप थे ......पंडित जी को अपनी गलती क़ा एहसास हुआ .....

फिर उन्होंने ने सब कुछ शांत करने के लिए बेटे से ........अपनी गलती की माफ़ी मांगी ........पंडित जी अक्सर 

यह करते है कभी घर के अन्दर कभी बाहर .............

                  पर अपने दूध जैसे उबलने वाली आदत को ख़त्म नहीं कर पाते है ........

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