आज से दो साल पहले की बात है ,उसे यकीन था उसकी बात कोई जरुर सुनेगा .
पर किसी ने भी नहीं सुना....वह बोलता गया ,लोगो को समझाता गया .एक वह समय आया जब लोगो ने उसे पागल समझ लिया
......अब उसके कपडे भी फट चुके थे ,चेहरे पे कच्ची -पक्की दाढी निकल आयी थी ,विधान सभा के सामने तो नहीं केपिटल सिनेमा
के सामने के पार्क जिसमे गांधी जी की मूर्ती लगी थी .....वह एक ऎसी जगह थी ,जहां बैठ कर कोई भी रो सकता है ,जिसे वह महात्मा
जरुर सुनता है ......
वक्त बीतता गया ....... माया का राज ख़त्म हुआ ....अब मास्टर जी के सपूत आ गये राज सभालने के लिए वोटिंग से पहले कई बार
इस आम आदमी से आशिर्बाद ले चुके थे और वादा भी किया था ......इन्साफ दिलवाने के लिए ......हुआ क्या ...कुछ नहीं इसी तरह
लोग आते हैं और चले जाते है ......अब तो यह भी एक व्यापार हो चुका है ...कई नवजवान बड़ी =बड़ी पोस्टें छोड़ के आये है ...अब अभिषेक
मिश्रा को ले लीजये ....बाप I A S थे मुलायम जी क़ा खास चेला ....नेता जी ने यह तय किया था अब टिकट उसी को ही मिलेगा जो अपने चेलो क़ा बेटा होगा .....यह तो तय था माया से लोग बोर हो चुके थे ....लोग तो एक वीवी से ऊब जाते है यह तो सरकार थी ..
वह आम आदमी गांधी जी से इस तरह बाते करता है जैसे वह मूर्ति ना हो एक आम इंसान हो ,आज लखनऊ में खूब बरसात हो रही थी
बिजली भी कडक रही थी कहते है विधान सभा के आस पास के इलाको पे बादल फट गया ....वह आम आदमी जिन्दगी के उस मोड़ पे पहुँच चुका था .........जो नाथू ने किया था वह किस -किस को मारेगा .....यहाँ तो सभी एक ही जैसे है किस किस को गोली मारेगा .......
सुबह गाँधी जो मूर्ती गिरी हुई मिली ...जैसे किसी ने फिर से एक बार गोली मारी हो गाँधी जी को ...पूरा चबूतरा खून से भरा हुआ था ........पुलिस आयी वह आदमी नहीं मिला ......वह कहीं जा चुका था ....नेता जी ने अपने बेटे को बहुत डांट लगाई और कह दिया ....राज ठीक
से चलो वरना ......मैं ले लूंगा और तुम्हे सेंटर में भेज दूंगा .......तुम्हारे हम उम्र गद्दी पे बैठने के फिराक में है .....
नेता जी बात बेटे को समझ में आगयी ......और उस आम आदमी को खोज निकाला और नाथू को जो सजा दी गयी थी वह उसे भी दी गयी .....एक काँटा जो बहुत दिन से नेता जो के पैर में चुभ रहा था निकाल दिया गया
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