वह नाम से रामनरेश है ,पर लोग उसे जल्लाद के नाम से बुलाते हैं
उसे उस काम से जो वह करता है ,पिता से विरासत में मिला है ,
जिसे वह छोड़ नहीं सकता है ......लोग कहते हैं हिदुस्तान में अब जल्लाद
रहे नहीं .......खोजो तो मिलते नहीं .......औसतन रोज 20 कतल होते हैं
वह कैदी जो मौत के इन्तजार में रोज ही मर रहे हैं उनको फांसी पे लटकाने
वाला कोई है ही नहीं .......
जल्लाद का घर कलकत्ता में है नौकरी के नाम पे लोगो को फांसी
पे लटकाना साल भर में एक बार यह मौक़ा कहीं मिलता है और उसके मिलते हैं
कुछ रुपये जिनसे घर नहीं चलता महीना भर ..........मेरे दो बेटे हैं वह मुझसे
कहीं दूर चले गये ...........मुझे अपना बाप भी नहीं कहते ......वह कहता है उसकी
कोई जात नहीं है ...............इस लिए कोई अपनी लड़की भी इन्हें नहीं देता है
..........यही सब जान के उसके बच्चे उससे दूर हो गये .....जल्लाद बताता है
उसकी भी शादी एक लड़की को खरीद के की गयी थी ........
पहला बच्चा जब हुआ तो उसे पता चला की मैं क्या करता हूँ
उसके बाद से उसे मुझसे जैसे नफरत सी हो गयी थी ,मुझे अपने करीब तक नहीं
आने देती थी ........उसने मेरे बर्तन आदि भी अलग कर दिए थे ,वह अपने ही घर में
अछूत हो गया था मैंने बहुत समझाया ..........पर वह अपनी ही बात पेजिद्द किये थी
मुझे छोड़ के जाने की बात करती थी .............
बच्चे मुझसे दूर हो गये .....मैं अकेला हो गया ........कोई भी यकीन नहीं
करेगा मैं भीख माँग के अपना गुज़र बसर करता हूँ ........दिल्ली का रेप केस सुन के मेरे
में एक साहस पैदा हुआ .........
कुछ दिनों से लोग मुझे बड़ी इज्जत की नज़र से देखने लगे सरकार की तरफ से
मुझे वजीफा तै हो गया ........ इसी बीच मेरा बड़ा बेटे मेरे पास आया और कहने लगा
बाबा मैं आप का पेशा मैं अपनाना चाहता हूँ .........मुझे जल्लाद बनना है ........
उसे उस काम से जो वह करता है ,पिता से विरासत में मिला है ,
जिसे वह छोड़ नहीं सकता है ......लोग कहते हैं हिदुस्तान में अब जल्लाद
रहे नहीं .......खोजो तो मिलते नहीं .......औसतन रोज 20 कतल होते हैं
वह कैदी जो मौत के इन्तजार में रोज ही मर रहे हैं उनको फांसी पे लटकाने
वाला कोई है ही नहीं .......
जल्लाद का घर कलकत्ता में है नौकरी के नाम पे लोगो को फांसी
पे लटकाना साल भर में एक बार यह मौक़ा कहीं मिलता है और उसके मिलते हैं
कुछ रुपये जिनसे घर नहीं चलता महीना भर ..........मेरे दो बेटे हैं वह मुझसे
कहीं दूर चले गये ...........मुझे अपना बाप भी नहीं कहते ......वह कहता है उसकी
कोई जात नहीं है ...............इस लिए कोई अपनी लड़की भी इन्हें नहीं देता है
..........यही सब जान के उसके बच्चे उससे दूर हो गये .....जल्लाद बताता है
उसकी भी शादी एक लड़की को खरीद के की गयी थी ........
पहला बच्चा जब हुआ तो उसे पता चला की मैं क्या करता हूँ
उसके बाद से उसे मुझसे जैसे नफरत सी हो गयी थी ,मुझे अपने करीब तक नहीं
आने देती थी ........उसने मेरे बर्तन आदि भी अलग कर दिए थे ,वह अपने ही घर में
अछूत हो गया था मैंने बहुत समझाया ..........पर वह अपनी ही बात पेजिद्द किये थी
मुझे छोड़ के जाने की बात करती थी .............
बच्चे मुझसे दूर हो गये .....मैं अकेला हो गया ........कोई भी यकीन नहीं
करेगा मैं भीख माँग के अपना गुज़र बसर करता हूँ ........दिल्ली का रेप केस सुन के मेरे
में एक साहस पैदा हुआ .........
कुछ दिनों से लोग मुझे बड़ी इज्जत की नज़र से देखने लगे सरकार की तरफ से
मुझे वजीफा तै हो गया ........ इसी बीच मेरा बड़ा बेटे मेरे पास आया और कहने लगा
बाबा मैं आप का पेशा मैं अपनाना चाहता हूँ .........मुझे जल्लाद बनना है ........
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