नमक की कीमत ......
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उसकी ही एक दूकान थी उस मोहल्ले में ....सब कुछ मिलता था उसके पास
नमक से ले कर कन्डोम तक ...आधे से ज्यादा ग्राहक ...माल उधार ही ले जाते
थे ...गरीबो का मोहल्ला था ,पेट तो हर किसी के पास था ,लेकिन पैसा नहीं
गरीब चन्द बहुत ही भला मानस था ,किसी को ना नहीं कहता
पैसा दो या नहीं ,माल जरुर दे देता था ......एक उसके पास चोपड़ी थी उस पे
लिख जरुर लेता था ........दिवाली में जब चोपड़ी बदलता तब हर किसी का बकाया
पैसे की एक लिस्ट बना लेता था .......पर बाबुलाल का नाम नहीं लिखता था .....
ऐसा वह क्यों करता था .......?
बाबूलाल की पत्नी लाजो थी .......वही ही गरीब चन्द की दूकान पे
आती थी .......उम्र उसकी कोई 23 -24 की होगी दिखने में रंग उसका साँवला था
पर उसके चेहरे का नमक बड़ा ही तेज था ......जब भी वह शाम को आती ....गरीब चन्द
वगैर पूछे कंडोम दे दिया करता था ........उसका वह क्या करती थी उसे नहीं मालूम था
और न ही कभी पूछा भी ...........पर उसे यह जरुर मालूम था लाजो का पति ,कैंसर का मरीज
था .....
एक रोज लाजो रोते हुए आई ....उसने बताया बाबूलाल मर गया ........
गरीबचंद ने उसे पाँच हजार रूपये दिए ........बाबूलाल के अंतिम संस्कार के लिए .....
महीनो बीत गये लाजो उसी तरह ,गरीब चंद की दूकान पे आती रही .
घर का राशन लेती रही .......अब वह कंडोम ले कर नहीं जाती ......लाजो एक विधवा की तरह
रहने लगी ..........
उसके चेहरे का नमक अब भी वैसा ही था ..........एक दिन गरीब चंद ने अपना
हिसाब दिखलाया लाजो को ........अब लाजो के पास कोई रास्ता नहीं था .....दूसरे ही दिन से लाजो
गरीब चंद की दूकान पे बैठने लगी ........
मोहल्ले वाले समझ गये कोई किसी को वैसे ही उधार नहीं देता ..........
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