गुरुवार, जून 27, 2013

.अर्जुन


...फिर वह खामोश हो गया और अपनी शर्ट का बटन लगाने लगा .....तभी घर में से दादी निकली कमर झुक गयी थी ,,,लेकिन आँखों में अभी वह रोशनी  थी मुझे देखते ही पहचान गयी ........मेरा नाम ले के बुलाया ......अरे राम लखन तै ते भुलाय गया हमरे लोग के ...मैंने जल्दी से उठ के उनके पैर छुए ..... उन्होंने एक लम्बा सा आशिर्बाद दिया .....वहीं पास में पड़े तख्त पे बैठ गयी .......मेरा पूरा हाल चाल पूछ डाला ....मेरा हाथ पकड़ के अपने करीब कर के पूछने लगी ......सब ठीक है ना .......?

     
तभी अर्जुन ने पूछा कुछ खाओगे ?..........मैंने ना में सर हिला दिया .....मैं दादी को ध्यान से देखने लगा .....चौबीस साल की उम्र में विधवा हो गयी थी .......आज वह चौरासी साल की हैं ......अर्जुन को ही देख के सारा जीवन काट दिया ......फिर उन्होंने अपने आँचल में बंधी हुई कुछ पैसे निकाले और मुझे देने लगी ......दादी यह क्या है ?मैं नहीं लूँगा .....तब कुछ नहीं था ...........आज भगवान् ने  बहुत दे दिया है रख ले ......हमका मालूम तू भी खूब कमाता है ......यह मेरा आशिर्बाद समझ के रख ले .....

मैं उनको ना नहीं कह सका .....और रख लिया मैंने वह क्या था मुझे नहीं मालूम एक कागज मुड़ा  हुआ सा था ......उस वक्त देखना भी ठीक नहीं लग रहा था ......अर्जुन अन्दर से नास्ता कर आ चुका था ......मुझे अपने साथ ,अपने स्कूल  ले जाना चाहता .....वह दिखाना चाहता था ....मैंने गाँव में रह के क्या नहीं किया ......बोलैरो जीप निकाली और हम दोनों चल दिए घर से कोई ज्यादा दूर नहीं था ....... 

      सडक पे चले हुए ...एक बात कही .....आप यहीं आ जाय ....शहरों  की भी कोई जिन्दगी होती है ....मैं उसकी तरफ देखता रहा ...कितना विश्वास था उसे अपने आप पे ,,,,,मैं चुप रहा जैसे मेरी सिट्टी -पिट्टी गुम  हो गयी हो .......शायद उसका कहने मतलब यह हो शहर में जा के क्या उखाड़ लिया ..........

    मैं ....इन्ही ख्यालो में खोया हुआ था ......अर्जुन ने मुझे जगाया .....कहाँ खो गये थे 
आइये यही मेरा स्कूल है .....स्कूल को एक बाग़ ने घेर रखा हुआ था ....चरो तरफ पेड़ ही -पेड़ नज़र आ रहे थे .......बच्चे भाग -भाग के आ रहे थे अर्जुन के पैर छू रहे थे ...कुछ ने तो मेरे भी पैर छू लिए ...........यह सिलसिला तब तक चलता रहा ,जब तक वह अपने कमरे में नहीं चले गये .....में भी उनके पीछे -पीछे ही आ रहा था ......कमरे में बड़े -बड़े महान लोगो के चित्र लगे हुए थे उन्ही में उनके पिता की भी फोटो लगी थी ...

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