सोमवार, जून 11, 2012

gudiyaa

उसे याद रखना , अब मेरे बस में नहीं था ,फिर भी  एक याद रखने की

जद्दोजहद में ....आज फिर से  उसकी कहानी   कह रहा हूँ .......बरसात  दिन थे

माँ मेरी सौतेली थी .....मुझेअपनी  माँ की शक्ल याद नहीं है ,मेरी एक छोटी बहन भी थी

कोई एक -डेढ़ साल की थी ,घर के बगल एक तलाब था ,इस बरसात में फिर से भर

गया था ,सौतेली माँ ने मुझसे कहा ....जा तलाब से करेमुआ  का साग तोड़ ला ....अक्सर

बरसात के दिनों में होता है तलाब में  .....मेरी बहन भी रो रही थी ......माँ ने गुस्से में एक गाली दे के कहा

इस हरा .....को भी ले का जा ........मुझे तब गाली की समझ नहीं थी ......गाँव की पकडंडी  पकड के

तलाब की तरफ चल दिया ....मैं खुद भी पाँच  या छे साल का था ,मुझे भी मालुम था अगर माँ की बात नहीं

मानता तो शाम को रोटी भी नहीं देती .......बहन को गोदी में लिए ,उस तलाब के किनारे पहुँचा ....बहन को

एक किनारे बैठा के क़रेमुआ का साग तोड़ने लगा .....ढेर सारा तोड़ के जब पीछे मुड़  के देखा तो बहन नहीं थी

कहाँ चली गयी .....डर  के मारे इधर -उधर देखा ,लेकिन वह नज़र नहीं आयी ,मैंने सोचा शायद वह घर

चली गयी होगी .....चल तो सकती नहीं थी ......वहीं मैं बैठा रहा ,रोता रहा .................

          कोई घंटा भर हुआ होगा ....  तभी मैंने देखा तलाब में एक किनारे मेरी बहन तैयरती  हुई नज़र आई

मैं  घबराया हुआ उधर गया ,उसको पानी से निकाला ,उसका पेट पानी से भरा हुआ था

मैंने उससे लाख बात करने की कोशिश की पर वह नहीं  बोली ........मैं  डर  गया ,यह तो मर गयी ,मैंने मार

डाला इसे ...............................डर  के मारे  ...मैंने अपनी बहन की लाश वहीं तलाब में दबा दी ........

           घर आ के झूठ बोल  दिया ...............मुझे नहीं मालूम ........बाप मेरा खोजता रहा बहन को ....

रात भर मैं रोता रहा ,लोग मेरी सौतेली माँ को गालियाँ देते रहे .............

दूसरी सुबह मैं घर से भाग गया ..........कई साल बाद जब मैं घर लौटा ,ऐसा सुना मैंने दुसरे दिन भी मेरी बहन

की लाश नहीं मिली ......मेरे बाप ने मेरी सौतेली माँ को मार के भगा दिया था .......

              यह सच्चाई मैंने आज तक किसी को नहीं बताई ........मैं खुद ही इसमें घुलता  रहा .....जब भी गाँव

 आता उसी तलाब के किनारे बैठ के घंटो रोता रहता ......लोग मुझे समझाते ....जो होना था वह हो गया

                एक पाप लिए मैं ....अभी तक जी रहा हूँ .......इस तरह कह के मन को हल्का कर लेता  हूँ

यह तो कहने की बात है ....उन जख्मों को फिर से खुरचता हूँ ......उसको बहते हुए देखता हूँ ......



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