बुधवार, अगस्त 05, 2009

पहला प्यार

एक कहानी लिखी उसने ,

उसके हर पन्ने पे ,

जिक्र मेरा आता ,

मुझे याद करती ,

दोगला कह के मुझे बुलाती ,

पढ़ के ,उसकी इश्क की किताब को ,

हर लाइन में ,वो मुझे गिन गिन गाली देती ,

पर उसका प्यार उसमें कहीं छिपा होता ,

साल दर साल ,एक किताब लिखती ,

अधूरे प्यार का जिक्र होता ,

धोखे बाज़ का किरदार मेरा होता ,

कहानी एक कम शिन लडकी की होती ,
जिसको मैंने धोका दिया होता है ,

अब वो नामचीन लेखिका बन चुकी है ,
कई पुरस्कार मिल चुके है ,
आज भी वो अकेली है ,
उसकी सोच पे लोग एतबार करने लगे हैं ,
जो वो कहती है या लिखती है ,
उसकी अपनी कहाni लगती ,
उसके नायक का नाम उससे puchte ,
वो मेरा नाम भूल चुकी थी ,
उसे कुछ याद है .....,
सिर्फ़ apnaa नाम ,जिसे वो बहुत प्यार करने लगी है ,

1 टिप्पणी:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बहुत खफा है उस से। यही तो प्यार है।

रक्षाबंधन पर शुभकामनाएँ! विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!