गुरुवार, सितंबर 17, 2009

औलाद

बे -औलाद हूँ मैं ,चाह एक बेटे की बस ,
जब भी किसी बच्चे को देखता ,
अन्दर का दर्द पिघलने लगता ,
उनकी माँए मुझे शक की नजर से देखती ,
एक दोस्त ने सलाह दी ,एक बच्चा अपना लो ,
वो तुम्हारा अपना होगा ,
एक शर्त लोग रखते ,बच्चा उसीको मिलेगा ,
जो पत्नी वाला होगा ,
इस उम्र में ,कौन पति मानेगा ,
लगा यह जन्म बे - औलाद गुजरेगा ,
पी कर ,देर रात लौट रहा था ,
सुनसान सड़क अपनी मस्ती में सो रही थी ,
मैं ......सिर्फ़ जाग रहा था ,बच्चे की रोनी की आवाज ,
गुनगुना रही थी , मैं लहरा के सडक पे बैठ गया
मेरी गोद में .......बच्चा खिलखिला के हँस रहा था ,
एक चोर की तरह भाग निकला ,
मेरी गोद में खूब खेलता वो ,
पापा वो कहने लगा ,
अब वो अक्सर माँ को पूछता ..जवाब रोज खोजता ,
माँ की फोटो दिखा कर ,उसकी माँ बताया ,
अब वो मेरी माँ से खूब बातें करता ,
माँ से मेरी शिकायत भी करता ,
......एक दिन वो .....मेरी माँ को ले आया ,
बहुत खूबसूरत .....बिल्कुल मेरी माँ जैसी ,
अब हम तीनों खूब मजे से जीते ,
रोज मैं भगवान से यही मांगता ,
मुझको सौ साल की उम्र दे दे ,
कुछ दिन और अपनी माँ के साथ जी लूँ ,
उसके बच्चों को देख लूँ ,
थोड़ा दादा बन के जी लूँ ,

3 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

waah............behad khoobsoorat bhav hain.

आमीन ने कहा…

सर आपने अच्छा लिखा है, लेकिन इतना गूढ़ लिखा है की मेरी समझ में नहीं आया.. शायद मैं समझ ही नही पाया

Pawan Kumar ने कहा…

waaaaaaaaaah..........simply