मौत ,कब आयेगी किसी को नहीं मालूम ,वह उसकी माँ थी।
लेकिन बेटा क्या करता ,घर से कहीं बाहर जा नहीं सकता
हर पल एक डर घेरे रहता ,अभी तक माँ ने अपनी मौत को
अपने पास नहीं आने दे रही थी ,हमेसा कहती मैं अभी और
दिन ज़िंदा रहूँ गी ,रोज -रोज नई -नई फ़रमाईश होती यह खिलावो
वह बना के लाओ ,घर वाले तंग आ गए थे ,कभी बहु आ कर कहती
मेरी सास, अब तो मर जावो ,माँ सोचती ,जैसे वह वहाँ से जाती
उसका चेहरा हंस पड़ता ,उसके अंदर से एक आवाज आती ,मेरे
बेटा मुझसे छीन लिया और अब कहती मर जावो ,९५ साल की
माँ सब जानती है ,बस इन सब को मेरी सेवा ना करनी पड़े ,माँ जी
बिस्तर पे ही पड़ी रहती हैं एक ही करवट सोती हैं तो पीठ पे बेड सोर
हो चुका है बहुत तकलीफ है ,एक पल बैठने को कहती है ,बिठा दो
गिन के पांच से छे मिनट के बाद कहती हैं ,लिटा दो ,पूरा -दिन, पूरी
रात यही चलता है। घर वाले तंग आ चुके थे भगवान से प्रार्थना करते
हे प्रभु माँ को जल्दी मौत दे दो ,जब भगवान ने उनकी बात नहीं तब एक रात
दादी के कमरे में बाप -बेटा आ गए, दादी आँख बंद किये लेती थी
बेटा और पोता आ के कहते दादी बहुत हो गया ,बहुत जी ली
हैं आप , अब, अब हम लोगों को जीने दो ,जल्दी से यह जान छोड़ दो.
दादी मुस्कराती है ,और सोचती है सारी जिन्दगी मैंने तुम लोगो की
सेवा में निकल दिया और आज दो महीने से मेरी देख -भाल कर रहे हो
तो मेरी मरने की बात , सोच रहे हो , लेकिन मरने वाली नहीं। .
एक दिन ,यह सब करते -करते तंग आगयी ,बहु ! वह कैसे भी
कर के सास से छुटकारा पाना चाहती थी ,चार महीनों से इतनी तंग आ
गयी थी ,खुद मरने की बात सोचने लगी थी ,पति -पत्नी रिश्ते में खटास
आ गयी थी ,इतने दोनों चिड़चिड़े हो गए थे ,एक दूसरे को काट खाने को
दौड़ते हैं।
एक दिन रात में ,बहु ने ढेर सारी नीद की गोलियाँ एक ग्लास में
पानी में मिला के सास को जबरदस्ती पिला दिया ,पूरा पीने के बाद सास
ने बहु की तरफ देखा और डूबती हुई आवाज में बोल पड़ी , कर दिया अपना खेल
और सुन ,ले यह चाभी मेरे बक्से की ,सुनील को मत बताना ………। यह
कहते -कहते वह सो गयी। बहु अपने कमरे में आई ,देखा पति सो रहा है
वह सास के बिस्तर के नीचे से एक टुटा-फूटा बक्सा निकाला और खोल के देखा
तो उसकी आँखे खुली की खुलीरह गयी ,सोने के पांच बिस्कुट पड़े थे यह देख के
उसकी आँखे भर आयी ,और साथ में एक चिठ्ठी थी ,जिसे देख के बहु ने पढ़ा
सुबह हुई सास मर चुकी थी ,घर खुशी के मारे रो रहे थे ,माँ को शमशान
घाट ले जाने की तैयारी हो चुकी थी। नाती ने आ के पापा को कहा ,पापा दादी
अभी ज़िंदा है तुझे कैसे मालुम ? उनकी आँखे खुली हैं ,बेटा मरने बाद कभी कभी
आँखे खुली ही रहती ,कहीं हम उन्हें ज़िंदा तो नहीं जला रहे है ?
चुप हो जा …………………… यह मत किसी को नहीं बोलना
लेकिन बेटा क्या करता ,घर से कहीं बाहर जा नहीं सकता
हर पल एक डर घेरे रहता ,अभी तक माँ ने अपनी मौत को
अपने पास नहीं आने दे रही थी ,हमेसा कहती मैं अभी और
दिन ज़िंदा रहूँ गी ,रोज -रोज नई -नई फ़रमाईश होती यह खिलावो
वह बना के लाओ ,घर वाले तंग आ गए थे ,कभी बहु आ कर कहती
मेरी सास, अब तो मर जावो ,माँ सोचती ,जैसे वह वहाँ से जाती
उसका चेहरा हंस पड़ता ,उसके अंदर से एक आवाज आती ,मेरे
बेटा मुझसे छीन लिया और अब कहती मर जावो ,९५ साल की
माँ सब जानती है ,बस इन सब को मेरी सेवा ना करनी पड़े ,माँ जी
बिस्तर पे ही पड़ी रहती हैं एक ही करवट सोती हैं तो पीठ पे बेड सोर
हो चुका है बहुत तकलीफ है ,एक पल बैठने को कहती है ,बिठा दो
गिन के पांच से छे मिनट के बाद कहती हैं ,लिटा दो ,पूरा -दिन, पूरी
रात यही चलता है। घर वाले तंग आ चुके थे भगवान से प्रार्थना करते
हे प्रभु माँ को जल्दी मौत दे दो ,जब भगवान ने उनकी बात नहीं तब एक रात
दादी के कमरे में बाप -बेटा आ गए, दादी आँख बंद किये लेती थी
बेटा और पोता आ के कहते दादी बहुत हो गया ,बहुत जी ली
हैं आप , अब, अब हम लोगों को जीने दो ,जल्दी से यह जान छोड़ दो.
दादी मुस्कराती है ,और सोचती है सारी जिन्दगी मैंने तुम लोगो की
सेवा में निकल दिया और आज दो महीने से मेरी देख -भाल कर रहे हो
तो मेरी मरने की बात , सोच रहे हो , लेकिन मरने वाली नहीं। .
एक दिन ,यह सब करते -करते तंग आगयी ,बहु ! वह कैसे भी
कर के सास से छुटकारा पाना चाहती थी ,चार महीनों से इतनी तंग आ
गयी थी ,खुद मरने की बात सोचने लगी थी ,पति -पत्नी रिश्ते में खटास
आ गयी थी ,इतने दोनों चिड़चिड़े हो गए थे ,एक दूसरे को काट खाने को
दौड़ते हैं।
एक दिन रात में ,बहु ने ढेर सारी नीद की गोलियाँ एक ग्लास में
पानी में मिला के सास को जबरदस्ती पिला दिया ,पूरा पीने के बाद सास
ने बहु की तरफ देखा और डूबती हुई आवाज में बोल पड़ी , कर दिया अपना खेल
और सुन ,ले यह चाभी मेरे बक्से की ,सुनील को मत बताना ………। यह
कहते -कहते वह सो गयी। बहु अपने कमरे में आई ,देखा पति सो रहा है
वह सास के बिस्तर के नीचे से एक टुटा-फूटा बक्सा निकाला और खोल के देखा
तो उसकी आँखे खुली की खुलीरह गयी ,सोने के पांच बिस्कुट पड़े थे यह देख के
उसकी आँखे भर आयी ,और साथ में एक चिठ्ठी थी ,जिसे देख के बहु ने पढ़ा
सुबह हुई सास मर चुकी थी ,घर खुशी के मारे रो रहे थे ,माँ को शमशान
घाट ले जाने की तैयारी हो चुकी थी। नाती ने आ के पापा को कहा ,पापा दादी
अभी ज़िंदा है तुझे कैसे मालुम ? उनकी आँखे खुली हैं ,बेटा मरने बाद कभी कभी
आँखे खुली ही रहती ,कहीं हम उन्हें ज़िंदा तो नहीं जला रहे है ?
चुप हो जा …………………… यह मत किसी को नहीं बोलना
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